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सोमवार, 23 सितंबर 2019

1529... नवासीवां अंक सोमवारीय विशेषांक....सजदा

स्नेहिल अभिवादन..
हमक़दम के आज का विषय 
"सजदा"
सजदा अरबी शब्द है
जिसका अर्थ होता है
नमाज पढ़ते समय माथा टेकने की क्रिया, 
प्रणाम करना,सर झुकाना।


यह भी एक प्रयोग था
बेहतरीन अंजाम दिया इस शब्द ने

हमारे सुगढ़ रचनाकारों की रचनात्मकता
को सादर प्रणाम।

इसका प्रयोग 
अधिकतर श़ेर-ओ-श़ायरी मिलता है 

मैं झुक गया तो 
वो सज़दा समझ बैठे

मैं तो इन्सानियत निभा रहा था 
वो ख़ुद को ख़ुदा समझ बैठे


★★★★★

जहाँ हो बात इंसानियत की
मोहब्बत का एहतराम करते हैं
इंसान को इंसान समझकर
नेकियों के सजदे सरेआम करते हैं
#श्वेता
☆☆★☆☆

नियमित रचनाएँ
रचनाएँ सुविधानुसार लगाई गई हैं


आदरणीय उर्मिला सिंह
सजदे में सिर झुका..... मन में ज्वार उठा.......


हम सजदों  में हसरतों के ख़ातिर गिरते रहे
तू नित्य नये रूपों में मुझे रोमांचित करते रहे
बन्द पलकों में मेरे, नये नये रुप दिखाते रहे
आज ये कैसी चेतना मनमें जागृति हुई

★★★★★★

आदरणीय अभिलाषा चौहान
तेरे दर पर ...

लेके खाली दामन
मायूसियों के मारे
वक्त के सितम
सह-सह कर हारे
करते हैं सजदा

★★★★★★

आदरणीय साधना वैद
जश्न ....

उसे तुम्हारे सजदे में
सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
जीत का यह जश्न तुम्हें
मुबारक हो !

★★★★★★

आदरणीय आशा सक्सेना
सजदे ...

केवल सजदे करने से
कुछ भी हांसिल नहीं होता
सजदे होते सहायक
कार्य को सफल बनाने में
जो पूरी शिद्दत से किया जाए

★★★★★★

आदरणीय सुजाता प्रिय
सौ बार करूँ सजदे ....
सौ बार करूँ सजदे, सौ बार करूँ मिन्नत।
बस आपके कदमों में ऐ खुदा है मेरी जन्नत।
खुद सर
को झुका करके ,
हम बंदगी करते हैं।


★★★★★★

आदरणीय अनीता सैनी
ऐसा नहीं वक़्त सज्दे में झुका था

हाहाकार हसरतों का सुना,बादलों के उसी दयार  में, 
इंसानों के जंगल में भटके विचारों को हाँक रहा समय था, 
गूंगे-बहरों  की भगदड़ में फ़ाक़े बिताकर मर गया वह, 
ऐसा नहीं सज्दे में झुका था,जाने जलसा कब हुआ था ?

★★★★★★

आदरणीया कुसुम कोठारी
रुह से सज़दा

रात भर रोई नरगिस सिसक कर बेनूरी पर अपने
निकल के ऐ आफ़ताब ना अश्कों में ख़लल डालो।

डूबती कश्तियां कैसे, साहिल पे आ ठहरी धीरे से
भूल भी जाओ ये सब ना तूफ़ानों में ख़लल डालो।
★★★★★★★

आदरणीय सुबोध सिन्हा
एक काफ़िर का सजदा ...

करते है सब सजदे तुम्हें
रुख़ करके पश्चिम सदा
कहते हैं कि तू काबा में है बसा
अब समझा जरा इस काफ़िर को तू कि ...
काबा के उस काले पत्थर में ढूँढू तुम्हें
या फिर दफ़न वक़्त के कब्र में
बेजान तीन सौ साठ बुतों में है तू सोया

★★★★★★★

फिल्मी और गैर फिल्मी गीत गाए गए गए हैं
नमूना देखिए एक फिल्मी गीत


★★★★★★

आज की यह प्रस्तुति आपसभी को
कैसी लगी?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की सदैव
प्रतीक्षा रहती है।






19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    जहाँ हो बात इंसानियत की
    मोहब्बत का एहतराम करते हैं
    इंसान को इंसान समझकर
    नेकियों के सजदे सरेआम करते हैं
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
    हम-कदम को सजदा,ऐसे ही विषय रखें
    जाएं,जिससे चिंतन करने की क्षमता प्रखर
    हो।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी श्वेता,सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. हम-क़दम की बहुत सुन्दर प्रस्तुति 👌,
    सज्दा शब्द पर सबने बहुत ही लाजवाब सृजन किया है| सभी को ढेर सारी बधाई |
    अपने ब्लॉग पर आमंत्रण की सूचना न पाकर और अपनी रचना हम-क़दम में देखकर बड़ी ख़ुशी हुई |
    हम-क़दम के शानदार सफ़र के लिये शुभकामनाएँ |
    सुन्दर प्रस्तुति और सटीक भूमिका के लिये श्वेता दी को बधाई |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभातम् अनु,
      तुम्हारे ब्लॉग पर आमंत्रण दे आये है पर वहाँ ब्लॉग एप्रूवल लगा है तुम्हारी स्वीकृति से टिप्पणी प्रकाशित होगी।
      सस्नेह शुक्रिया।

      हटाएं
    2. अनु कमेंट एप्रूवल लगा हुआ है चेक करो।

      हटाएं
  4. नहीं दी नहीं हुआ आप एक बार फिर try करें

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर संकलन सभी रचनायें बहुत सुन्दर
    हमारी रचना के स्थान देने के लिये आप को हार्दिक धन्यावाद!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!खूबसूरत संकलन । सभी लिंक शानदार !

    जवाब देंहटाएं
  7. खूबसूरत रचनाओं का बहुत खूबसूरत गुलदस्ता ! आज के संकलन को सजदा करने का मन तो हमारा भी हो रहा है ! इस सुन्दर गुलदस्ते में मेरी भी रचना के फूल को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को बेमिसाल सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर संकलन स्वेता।सबकी रचनाओं में बेहतरगी भरी है ।सबको शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  9. जहाँ हो बात इंसानियत की
    मोहब्बत का एहतराम करते हैं
    इंसान को इंसान समझकर
    नेकियों के सजदे सरेआम करते हैं

    बेहतरीन रचनाओं के साथ एक लाजबाब गीत ,उन्दा प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  10. उम्दा रचनाओं का संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन और लाजवाब हमकदम प्रस्तुति श्वेता.. भूमिका भी बहुत सुन्दर और सारगर्भित । हमेशा की तरह अत्यंत सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  12. शानदार प्रस्तुति बहुत ही लाजवाब रचनाएं...
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. शानदार भुमिका, सजदे का सजदा करती, सटीक व्याख्या, बहुत बहुत सुंदर अंक ।मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।सभी सह रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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