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मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

4354...और एक साल बीत गया

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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सोचती हूँ...

बदलते तारीखों ने बहुत कुछ दिया है

खुशियों के वो पल, 

जो अनमोल यादें बनकर

वक़्त-बेवक्त होंठों पर

मुस्कान बनकर बिखर जाती हैं;

कुछ टीसते दर्द भी,

जो अक्सर तन्हाई में

पलकों को नम कर जाते हैं;

कुछ अपने ऐसे रूठे कि

कभी नहीं आयेंगे वापस

वो खालीपन उनके न होने का

कभी भी नहीं भरेगा

और कुछ ऐसे एहसास 

जिसे छू कर

बरसों से सोयी ख़्वाहिशें

ज़िदा हो गयी

इंद्रधनुषी रंगों को समेटे 

जीवन के लम्हों में

स्पंदनहीन,निर्विकार सा

वक्त चला जा रहा है अनवरत

रात धीरे-धीरे चलकर 

एक नयी सुबह में बदल जायेगी

और खिलखिलायेगी 

कैलैंडर की नयी तारीख़ में

नये साल की पहली सुबह। ✍️श्वेता

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आज की रचनाएँ-


चाहती थी और लंबी होना 
तो मुर्ग़ों को बाँग न देने के लिए 
धमका दिया
मुर्ग़े ग़ुलाम थे तो चुप रहे
कोहरे से भी साँठगाँठ हुई    
फिर भी सुबह हो गई  
उजालों की बाढ़ में 
अँधेरा ग़ाएब हो गया


चीड़ और सनोबर

बर्फ से ढक कर भी

 इठला रहे हैं 

कहीं-कहीं…,

ब्यूस की टहनियाँ 

मुस्कुरा कर हिला रही है 

डाली रूपी हाथ 

फ़ुर्सत कहाँ हैं खुद पर जमी 

बर्फ हटाने की..,



ओस की सी बूँद जैसी
उम्र भी टपक पड़ी 
अंत से अजान ऐसी
बेल ज्यों लटक खड़ी 
मन प्रसून पर फिर से
आस भ्रमर रीझ गया 
और एक साल बीत गया !

कुल्हड़ की चाय

कंडे की न राख
माटी की सुगन्ध 
है बिछड़ी 
कहा गई वह
प्यारी खिचड़ी 
जितने भी थे 


इतिहास किसी के प्रति भी दयालु... 



हमारी अच्छी या बुरी जो भी कह लें परंपरा रही है कि किसी के निधन के बाद उसकी बुराई नहीं करनी चाहिए, पर इतिहास तो नहीं ना मानता ऐसी भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहानियां ही हम सुन रहे होते ! पर इतिहास तो इतिहास है ! इस मामले में वह निस्पृह होने के साथ-साथ निर्मम भी बहुत है ! ऐसे में अपने कर्मों को जानते हुए भी यदि कोई कहे कि इतिहास उसके प्रति दयालु होगा या दयालुता बरतेगा, तो यह तो उसकी नासमझी ही होगी ! 



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आप सभी का आभार।
आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सुंदर साहित्यिक प्रस्तुति
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति चिन्तनपरक वैचारिक अभिव्यक्ति के साथ ।संग्रहणीय संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद सहित आभार श्वेता जी ! पाँच लिंकों आनन्द के समस्त चर्चाकारों,रचनाकारों और पाठकों का नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बधाई और शुभकामनाएं एक वर्ष और सफल संचालन के "पाँच लिंकों के आनंद " के लिए

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति,,,यूं ही ये सफ़र निरन्तर चलता रहे,,,

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति,,,यूं ही ये सफ़र निरन्तर चलता रहे,,,

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत प्रस्तुतीकरण। पाँच लिंकों का आनंद यूँ ही आनंद देता रहे बस......

    जवाब देंहटाएं
  7. रचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद व आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!!!
    एक से बढ़कर एक रचनाएं
    लाजवाब प्रस्तुति...। मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता !
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

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