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शनिवार, 14 दिसंबर 2024

4337....शनिवारीय अंक बंद दरवाजे में पीछे गुम हो गए ब्लॉग

 सादर अभिवादन


बातों-बातों में जब,
दिन कहीं गुम हुआ।
गुलाबी ठंडक लिए,
महीना दिसम्बर हुआ

वर्ष 2024 के विदाई  
बस अब होने को है
एक नई पहल
बंद ब्लॉगों को
ऑक्सीजन का प्रदाय
देखिए ये प्रयास

Rhythm of words
ब्लॉग ऑनर ..पारूल कनानी


जन्म हुआ और 312 फॉलोवर बटोर लिए
06 नवंबर 2008 को और 2018 तक सुचारू रूप से चला तब से अब तक कोमा में है
कोई इनका परिचित इन्हें ऑक्सीजन दे दे
प्रस्तुत है दो रचनाएं



कुछ कही,कुछ अनकही
दिल में जो हसरतें रही
पूछती है खामोशी से
कब आएगा लफ़्जो पे शबाब!!!





लिखना कैसी है वो बूंदें
जो बारिश में बरसती है
और कैसा है वो पानी
जिनको आंखें तरसती है
कि हो सकता है बन जाये
फिर से वही मौसम
मैं भी लिख दूँगी खामोशी
तुम दर्द अपने सारे लिखना।।

*****

साझा आसमान
सुरेश स्वप्निल
ब्लॉगिंग सफ़र 2012 सं 2019
पहली रचना



हमको बलम की लगन लगी
क्या  समझें    बौराने   लोग

रोज़-ए-जज़ा  भी  आ  पहुंचा
कर   लें   ख़ूब    बहाने  लोग






मोहसिनों   की    आह    बेपर्दा  न  हो
शर्म  से    मर  जाएं   हम  ऐसा  न  हो

इश्क़  का  इल्ज़ाम  हम  पर  ही  सही
तू   अगर    ऐ  दोस्त     शर्मिंदा  न  हो

****************
अनुभूतियों का आकाश
महेश कुशवंश
2010 से 2016 तक
आखिरी रचना ...



झुर्रियां तो ....
उस बच्चे को भी होती हैं जो जन्म ले रहा है
फिर क्यों झुर्रियां दिखा कर
चुके से हो जाते हो
उठो जागो और आसमान को जमी पर उतार दो
क्या कर सकते हो तुम
दिखा दो ...
शायद प्रश्न का उत्तर मिल जाये
कुछ नहीं किया तुमने ।

*****
और चलते-चलते
नादिर अहमद खान  


आप रेल्वे में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्य करते हैं
ब्लॉग
2012 से 2017
किताबें बोलती है से एक रचना




क्यूँ है तू बीमार मेरे दिल
गम से यूँ मत हार मेरे दिल

तय है इक दिन मौत का आना
इस सच को स्वीकार मेरे दिल

पहले ही से दर्द बहुत हैं
और न ले अब भार मेरे दिल


******
कल रविवार को भी देखिएः
आप सभी से निवेदन इनको जागृत करें
और भी बंद ब्लॉग दिखे तो सूचित करें

3 टिप्‍पणियां:

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