ये सर्द मौसम, ये शोख लम्हे
फ़िजा में आती हुई सरसता,
खनक-भरी ये हँसी कि जैसे
क्षितिज में चमके हों मेघ सहसा।
कहीं पे सूरज बिलम गया है
कोई तो है, जो है राह रोके,
किसी के चेहरे का ये भरम है
हो जैसे पत्तों में सूर्य अटका..!!
ओम निश्चल
चलिये बदलते मौसम और मिज़ाज के साथ खुद को महफ़ूज़ रख ..नज़र डालिये चुनिंदा लिंकों पर..
.लिख ले लिखता चल जमीर को मार दे
शब्द चार उधार ले जिंदगी सुधार दे
आसमां उतार ले जमीं जमीं निथार दे
कदम उठा ताल दे कहने दे बबाल दे
किसने किस को देखना आईना उबाल दे..
✨️
धूप...
कभी धूप मिले कभी छांव मिले
कभी फूल मिले कभी शूल मिले
पांव चलते ही रहे चलते ही रहे...
पावों से शिकायत छालों ने किया...
अश्कों की दो बूंद गिरी......
✨️
बहती हुई हवा
हिलती हुई डालियां
खिले हुए रंग बिरंगे फूल
मैं सबको
नए दिन की
बधाई देना चाहता हूं
किंतु...
✨️
पुरानी सहेलियाँ और दोस्त
अब भी बुलाते हैं
एक कप चाय के साथ
कुछ बतियाने के लिये
पर मन नहीं मानता..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️
ग़ज़ब
जवाब देंहटाएंवंदन
आभार पम्मी जी |
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