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शनिवार, 21 दिसंबर 2024

4344 ..हिंदी पढ़नी होये तो, जाओ बेटे रूस


सादर अभिवादन

वर्ष 2024 के विदाई  
बस 11 दिवस बाकी है
एक नई पहल
बंद ब्लॉगों को
ऑक्सीजन का प्रदाय
 रचनाए भी देखेंः-

सुरेश स्वप्निल
जाने-माने अनवरत ब्लॉगर
साझा आसमान नाम है इलके ब्लॉग का
2018 से बंद चल रहा है
उनके ब्लॉग की एक रचना


अब     बग़ावत  का    उठे  सैलाब  वोः
जो  कभी     तारीख़   ने    देखा  न  हो

ऐहतरामे-नूर         यूं        कर  देखिए
सर  झुका  हो  और   बा-सज्दा  न  हो



आदरणीय विश्वमोहन कुमार
गलथेथरई
लेख-आलेखों का ब्लॉग है
और ब्लॉग चालू है
सखेद क्षमा याचना



पुत्र छदम्मीलाल से, बोले श्री मनहूस
हिंदी पढ़नी होये तो, जाओ बेटे रूस
जाओ बेटे रूस, भली आई आज़ादी
इंग्लिश रानी हुई हिंद में, हिंदी बाँदी
कहँ ‘ काका ' कविराय, ध्येय को भेजो लानत
अवसरवादी बनो, स्वार्थ की करो वक़ालत



आनन्द वर्धन ओझा
मुक्ताकाश,
कोई प्रस्तुति नही 2021 से


एक दिन मुझसे कहा उन्होंने--
'आओ मेरे साथ,
सागर में उतरो,
गहरी भरकर साँस
यार, तुम डुबकी मारो
क्या जाने सागर कब दे दे
रंग-बिरंगे रत्न और--
एक सच्चा मोती!'


आदरणीय ध्रुव सिंह
जाना पहचाना नाम
कभी पांच लिंकों का आनंद में
चर्चाकार रहे
उनका ब्लॉग एकलव्य


""करम जली कहीं की!"
"कहाँ मर गई ?"
"पहिले खसम खा गई!"
"अब का हम सबको खायेगी!"
"भतार सीमा पर जान गँवा बैठा, न जाने कउने देश की खातिर!"
"अउरे छोड़ गया ई बवाल हम पर!"
कहती हुई रामबटोही देवी अपनी बहुरिया पहुनिया को 
दरवाज़े पर बैठे-बैठे चिल्लाती है।


ब्लॉग गुज़ारिश
सरिता भाटिया
बहुत सारे पुरस्कार से सम्मानित
दो ब्लॉगो की चर्चाकार भी रही है आप
आपका ई-मेल आई डीः-




किया बुढ़ापे के लिये, सुत लाठी तैयार
बहू उसे लेकर गई, बूढ़े ताकें द्वार।।

बहू किसी की है सुता, भूले क्यों संसार।
गेह पराये आ गई ,करो उसे स्वीकार।।

किया बुढ़ापे के लिये, बेटा सदा निवेश।
पर धन बेटी साथ दे , बेटा गया विदेश।

***
आपके नजर नें कोई
बंद ब्लॉग नजर आया हो
तो लिंक के साथ सूचित करिएगा
अग्रिम आभार

6 टिप्‍पणियां:

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