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मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
4326 .. मन ने तन पर लगा दिया जो वो प्रतिबंध नहीं बेचूँगा
5 टिप्पणियां:
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जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को यहाँ अपनी प्रस्तुति में प्रस्तुत करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंआपकी आज की प्रेरणादायक भूमिका में दिव्यांग और बिहार पढ़ने के पश्चात .. आपके मंच के माध्यम से अपनी दो बतकही यहाँ धरना चाहता हूँ, पहली बतकही .. कि दिव्यांगता या विकलांगता शारीरिक रूप से किसी की प्रगति या उन्नत्ति में उतनी बाधा उत्पन्न नहीं कर पाती, जितना किसी हट्टे-कट्टे इंसान की मानसिक दिव्यांगता .. शायद ...
साथ ही .. दूसरी बतकही कि .. समोसा की जगह बर्गर् आ जाने पर, नयी पीढ़ी द्वारा समोसे को विस्मृत करने की तरह .. हमें ये भी विस्मृत नहीं करनी चाहिए कि 3 दिसम्बर को ही उसी बिहार (अविभाजित) ने स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति (नाम तो सर्वविदित ही है) को अपनी कोख़ से जना था .. बस यूँ ही ...🙏
जी पता है, पूजनीय बाबू राजेन्द्र प्रसाद जी
हटाएंवंदन
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंवंदन
आभार यशोदा जी 'उलूक' का कूड़ा भी दिखाने के लिए :)
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! सुंदर प्रस्तुति
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