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शनिवार, 13 जनवरी 2024

4004 ...गीदड़ अब रेवड़ी बांटे कुत्ता अब कुत्ते को काटे....


सादर अभिवादन
तेरह जनवरी..
नौ दिन शेष
रामेच्छा से सब सही होगा
शुभकामनाएं
रचनाएं देखें ...



मनुज, गंधर्व,सुर, किन्नर,
तपस्वी, अप्सराएं हैं
प्रभु श्रीराम के स्वागत में
सब दीपक जलाए हैं

अभी भी पंचवटियों में
कई मारीचि बैठे हैं
हमारे दौर में भी
कैकयी और मंथराएं हैं




सच है ये कहना आपका ।
भाषा की न आचार संहिता
और न ही मापने का फीता !
भाषा का अपना ही संसार ।
और सहजता का व्यवहार ।





आज विश्व हिंदी दिवस है। 
हिंदी एक ऐसी भाषा जिसमे सुकून है, 
जो हमारी आत्मा की भाषा है। 
मुझे इसकी लिपि से भी प्यार है । 
हिंदी लिखना और हिंदी बोलना 
दो अलग बाते है  
बिल्कुल इसी तरह भाषाई शुद्धता 
और भाषाई सौंदर्य दो अलग बातें है ।
बात करते है इसके पहले बिंदू पर......
अमूमन हम सब हिंदी बोल लेते है 
लेकिन मोबाईल में देवनागरी लिखना और पढ़ना 
सब लोग नहीं कर पाते। 
मैं सिर्फ इसीलिये देवनागरी में लिखती हूँ 
ताकि मेरे बच्चें इस लिपि के 
मातृत्व से जुड़े रहे, मातृभाषा के मोह में रहे।




ऎल्सेशियन से
बुलडौग लडा़या
पौमेरियन एप्सो
को छोटा बतलाया
ये था इसका राज

ये था इसका राज
गीदड़ अब रेवड़ी बांटे
कुत्ता अब कुत्ते को काटे
कोई ना रहा अपवाद


आज बस
कल की कल देखेंगे
सादर

3 टिप्‍पणियां:

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