आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
आज महात्मा गाँधी जी की
पुण्यतिथि है।
वैचारिक मतभेदों को
किनारे रखकर,
फालतू के तर्क-वितर्क में
पड़े बिना
आइये सच्चे मन से कुछ
श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
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दुख से दूर पहुँचकर गाँधी।
सुख से मौन खड़े हो
मरते-खपते इंसानों के
इस भारत में तुम्हीं बड़े हो
- केदारनाथ अग्रवाल
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
जिस समय अधिकार, शोषण, स्वार्थ
हो निर्लज्ज, हो नि:शंक, हो निर्द्वन्द्व
सद्य: जगे, संभले राष्ट्र में घुन-से लगे
जर्जर उसे करते रहे थे,
तुम कहाँ थे? और तुमने क्या किया था?
- हरिवंशराय बच्चन
गाँधी तूफ़ान के पिता
और बाजों के भी बाज थे ।
क्योंकि वे नीरवताकी आवाज थे।
-रामधारी सिंह "दिनकर"
तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन,
हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल,
हे चिर पुराण, हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की,
जिसमें असार भव-शून्य लीन;
आधार अमर, होगी जिस पर
भावी की संस्कृति समासीन!
- सुमित्रानंदन पंत
युग बढ़ा तुम्हारी हँसी देख
युग हटा तुम्हारी भृकुटि देख,
तुम अचल मेखला बन भू की
खींचते काल पर अमिट रेख
-सोहनलाल द्विवेदी
नये जमाने की हवा खाये खिलखिलाये होते हैं
तो कम्बल डाल कर फोटो भी खिंचवाने में जरा भी नहींं शर्माते हैं
बापू,
तुम्हारे तीनों बन्दर
सही सलामत हैं,
न बुरा देखते हैं,
न बुरा बोलते हैं,
न बुरा सुनते हैं,
पर समझ में नहीं आता
कि तुमसे अलग होकर
वे इतने ख़ुश क्यों हैं?
स्मरणीय
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय
आभार
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंवाह! बापू पर लाजवाब संग्रह! बहुत आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, बापू को विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंबापू की स्मृतियों को नमन
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