।।प्रातःवंदन। ।
जिजीविषा
तुम्हारी नियति ही यही है ।
आघात सहना और जीना ।
घनी छाँव देख मुसाफ़िर
....
पिछले चार दिन से मुक्ता नारियल के तेल को धूप दिखा रही थी । कुल मिलाकर इस साल पंधरा लीटर के आसपास तेल निकाला होगा बरामदें पर बैठी औरतों के हथेलियां पर तेल डाल डालकर अपने बगीचे के नारियल के पेड़ों का गुणगान करते हुये ये भी कहना नहीं..
.....
जिन्दगी की परिभाषा....बस यूं
नित नए अनुभवों से गुजरती है
नयन नीर से सींचत करती है
.....
इत्र सी ख्वाबों तरंगें महकाती साँसे खतों की l
गुलदस्ता वो पुराने अघलिखे ख्यालातों की ll
अकेले में खिलखिला दे मुस्कान जो अधरों की
....
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति '..✍️
विश्व हिंदी दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक
आभार
सादर
विश्व हिंदी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सादर
विश्व हिंदी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ । सुंदर अंक ।
जवाब देंहटाएंउम्दा एवं पठनीय लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआप सभी को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
विश्व हिंदी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचनाओं का संकलन सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सादर नमस्कार 🙏