मंगलवारीय अंक में आप
सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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उत्तरायण सूर्य आप सभी के जीवन में
शुभता,स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर आये।
दृष्टि हो बाधित अगर
मन के पट झट खोलना
दौड़ना न भागना
पाँव धीरे साधना
श्वेत धुँयें में उलझकर
न भ्रमित होना,तुम जागना...।
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आइये आज की रचनाओं के संसार में...
ख़ुशियां होतीं तो जा चुकी होतीं
वो तो ग़म था जो पल गया
होंठ मुस्कराते मुस्कराते गए
भीतर जो दिल था, जल गया
एक झुण्ड ढेर सारे कौवों का
नीले आसमान में
कांव कांव से गुंजायमान करता
हर दिशा को
क्या दिशाहीन कहा जाएगा
नहीं
झुण्ड का कौआ नाराज नहीं हो जाएगा
हर किसी काले के लिए संगीतमय है
ये शोर नहीं है
ये तो समझा करो यही भोर है
जम चुका, ये आंगना,
ज्यूं भर रहा,
नव-संकल्प, नव-कल्पना,
रुख ही, वे बदल गईं,
जर्द से कुहासे!
लक्ष्य है, जरा धूमिल,
धूंध है भरा,
बस खुद पर, रख यकीन,
कुछ असर दिखाएगी,
जर्द ये कुहासे!
अंबिका को ही बनकर भुजंग
नर अनल के विशिख छोड़ रहा
महि चपला सी चंचलित होकर
सारे सब्र के बाँध को तोड़ रहीं
प्रलय को जन्म दे रहे फिर
देवनदी, कालिंदी, सरिता और रत्नाकर
भयभीत सभी हैं आभास से विनाश के
थर थर काँप रहे हैं अडिग भूधर
फैशन ने संस्कृति को पटका
परिधानों संग झोल है
दूध दही माठा सब पिछड़े
शीतपेय का बोल है.
अन्न सभी जहरीले हो गये
वातावरण प्रदूषित है
नदी और तालाब का चेहरा
अंदर - बाहर दूषित है
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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
सकारात्मक रहिए।
खुश रहिए।
फैशन ने संस्कृति को पटका
जवाब देंहटाएंपरिधानों संग झोल है
दूध दही माठा सब पिछड़े
शीतपेय का बोल है.
शानदार अंक
आभार
सादर
बहुत बहुत आभार, आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिये 🙏
जवाब देंहटाएंआज कुमाउं में काले कौवा (घुघुतिया ) त्यौहार मनाया जाता है | कौओ को बुलाया जाता है पकवान खिलाये जाते हैं | कौवे तो अब दिखाते नहीं कौवों पर बकवास पेश है उसको यहां तक लाने के लिए आभार श्वेता जी | :)
जवाब देंहटाएंजी आभारी हूँ सर ,घुघुतिया की जानकारी देने के लिए।
हटाएंप्रणाम सर:)
सादर।
वाह ! सराहनीय रचना से सुसज्जित अंक, आभार !
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर अंक ।
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