सादर अभिवादन
सुनो तो !
जूड़े में जीवन नहीं
प्रतीक्षा बाँधी है
महीने नहीं! क्षण गिने हैं
मछलियाँ साक्षी हैं
चाँद! आत्मा में उतरा
मरु में समंदर!
यों हीं नहीं मचलता है।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
सादर अभिवादन
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बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंशानदार लिंकों की सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
शानदार अंक!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीया दीदी।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सादर नमस्कार।