शीर्षक पंक्ति: आदरणीय गगन शर्मा जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज का संकलन-
बजरंग बली
के हिय में राम
भ्राता भरत
के तप में राम
शबरी की
शरणागति में राम
केवट की
निश्छल भक्ति में राम
राम आये हैं,
धरती के तप
का विराम लाये हैं I
राम आये
हैं,
जीवन चक्र
का नया आयाम लाये हैं I
अमेरिकी कवयित्री कोलीन जे. मैकलेरॉय की कविता "द लॉस्ट ब्रेथ ऑफ़ ट्रीज' का अनुवाद
नदियों में तैरते थे
बांसों के बने नाव
पक्षियां उनपर बैठ तिरती थीं बेख़ौफ़
उत्तर की तरफ जाने सड़क घिरी थी वनों से
लोग कहते थे सौ सालों तक ये वन रहेंगे मौजूद
उनदिनों सड़क के दोनों तरफ लगे थे घने वृक्ष
जिसकी छाया में सुस्ताते थे
जब आँख खुले
तभी सवेरा समझ लेना ठीक
बेकार सोचने
में वक़्त ज़ाया करने से क्या ?
जीवन की यही
रीत है प्रकृति ने सिखलाई
जो भी आये
सामने तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !
मैं समझ गया फिर कोई गुलगपाड़ा इसको परेशान किए है।
पूछा, का हुआ कुछ बताओगे?''
नहीं, का है कि हम सोच रहे थे कि कुछ लोग एकदम्मे बुड़बक होता है का? ऊ लोग को सुझाई नहीं देता है कि कोई तुम को बोका बनाए जा रहा है वर्षों से, अऊर तुम बने जा रहे हो!''
मैं समझ गया कि इसे फिर कीड़ा काटा है! बोला नहीं, सिर्फ उसे देखता रहा! वह कुछ ज्यादा ही गमगीन लग रहा था! जैसे उसीको कोई धोखा दिए जा रहा हो!
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
नमस्ते, रवीन्द्र जी. आज के अंक की सकारात्मक उर्जा के लिए आपका और रचनाकारों का आभार. इसमें भागीदार बनाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
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