शीर्षक पंक्ति: आदरणीय ज्योति खरे जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
2024 के प्रथम गुरुवार की प्रस्तुति में आइए पढ़ते हैं आज की
पसंदीदा रचनाएँ-
जब
बर्फ़ीली हवाओं में
ओढ़ कर बैठूंगा रजाई
तो पढूंगा प्रेम पत्र और
बीते हुए साल का लेखा-जोखा
उम्मीदें खुरदुरी जमीन पर
कहाँ दौड़ पाती हैं
यह आपके लिए काम की खबर है, FSSAI क्वालिटी को लेकर क्यों कर रहा है 'चाय पर चर्चा', जानिए
आप भी जान लीजिए कि सर्दियों में हम सभी चाय
में गर्माहट ढूंढते हैं लेकिन मिलावट कहां, कैसे मिल जाए, ये कोई नहीं कह सकता. देशभर
से चाय की पत्तियों के लिए गए सैंपलों फूड रेगुलेटर FSSAI को न जाने क्या-क्या मिला
है. फूड रेगुलेटर क्वालिटी को लेकर 'चाय पर चर्चा' कर रहा है.
दरअसल, इसी महीने के मध्य में इंडस्ट्री, रेगुलेटर, उपभोक्ता मामले मंत्रालय की इस मुद्दे पर बैठक होने वाली है, जिसमें चाय की पत्तियों में मिलावट के खिलाफ
कदम उठाए जाएंगे.
रोज पढ़े फिर याद करे ‘उलूक’ उल्लू का अखबार
मतलब लिखता बेमतलब का रोज बजाता पौने चार
किसने पढ़ना किसने गुनना पत्ते खेल रहे सरकार
जोकर के हाथों में सब कुछ इक्के गुलाम बादशाह बेकार
याद करें कुछ बाराहखडी कुछ करें दिन फिरने का
इंतज़ार
अंजुरी भर-भर बहुत पी लिया
अमृत घट वैसा का वैसा,
अब अंतर में भरना होगा
कुसुमों में सुगंध के जैसा !
तमाशबीनों के बीच ज़िंदगी, नीलाम होती रही अक्सर,
हैरान से सभी चेहरे हाथ बढ़ाने को कोई मेहरबाँ न था,
धूप की अपनी है मजबूरी ढल चली सूरज के छुपते ही
प्याली बढ़ाई थी उसने, जब दिल में कोई अरमां न था,
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन
आभार
सादर
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन
आभार
सादर
नमस्कार ! पठनीय रचनाओं की खबर देता सुंदर अंक, 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
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