बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया...।
भोपाल, मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध ब्लॉगर
टैक्नोक्रेट, सॉफ़्टवेयर स्थानीयकरण विशेषज्ञ, संपादक, लेखक। हिंदी कंप्यूटिंग को लोकप्रिय बनाने में जीवटता से संलग्न, 20+ वर्ष का प्रशासकीय/प्रबंधन/तकनीकी अनुभव, हिंदी में तकनीकी/साहित्य लेखन व संपादन तथा कंप्यूटरों, आईटी के हिंदी व छत्तीसगढ़ी भाषा में स्थानीयकरण / शिक्षण- प्रशिक्षण में सक्रिय भूमिका. हिंदी लिनक्स आपरेटिंग सिस्टम के प्रारंभिक रिलीज में महत्वपूर्ण भूमिका. 1000+ कंप्यूटिंग अनुप्रयोगों का हिंदी में स्थानीयकरण. अधिकतर कार्य मुक्त स्रोत के तहत, निःशुल्क, मानसेवी आधार पर. छत्तीसगढ़ी लिनक्स तथा छत्तीसगढ़ी विंडोज एप्लीकेशन सूट निर्माण में एकल-प्रमुख भूमिका. पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से हिंदी में तकनीकी/हास्य-व्यंग्य ब्लॉग लेखन, आनलाइन पत्रिका रचनाकार.आर्ग का संपादन तथा हिंदी की सर्वाधिक समृद्ध आनलाइन वर्गपहेली का सृजन.
करने वाले लोकप्रिय ब्लॉगर
जाने माने हिंदी ब्लॉगर श्री रवि रतलामी जी हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर चरणों में प्रार्थना है कि वो पुण्य आत्मा को शान्ति प्रदान करें।
सन 2011 में हिंदी ब्लॉगिंग पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा था। विषय नया था अतः उत्साह और भय का एक अलग रोमांच हो रहा था। उस समय इस संगोष्ठी को सफल बनाने में श्री रवि रतलामी जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। आप स्वयं भी इस संगोष्ठी में उपस्थित रहे।
रवि रतलामी जी की पावन स्मृतियों को प्रणाम ।
आज की रचनाएँ
अनजाने ही रह जाते वह
अपने दिल की गहराई से,
जीवन की संध्या आ जाती
कान भरे हैं शहनाई से !
सागर से मिल सकती थी जो
मरुथल में दम तोड़ रही है,
बूँद एक घर से निकली थी
जाने क्या वह जोड़ रही है !
तुम्हारा दुःख मुझसे
सहा नहीं जाता,
तुम्हारी ज़रा-सी तकलीफ़
मुझे बेचैन कर देती है,
न जाने क्यों मुझे हर वक़्त
तुम्हारा ही ख़्याल रहता है.
अप्रतिम अंक क्रमांक 4000..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
कल विश्व हिंदी दिवस है
कल और उत्कृष्ट रचनाएं
पढ़ी और पढ़ाई जाएगी
आभार....
अनुपम अंक
जवाब देंहटाएं4000 सोपान तक का सफर अद्भुत है और इसके सहभागी होने का गौरव भी। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आप सभी को यह यात्रा ऐसे ही अनवरत चलती रहे। सादर
हिंदी ब्लॉगर श्री रवि रतलामी जी को विनम्र श्रद्धांजलि ! चार हज़ार अंकों के सफ़र तक पहुँचने के लिए पाँच लिंकों के आनंद को बधाई ! आज के अंक में 'मन पाये विश्राम जहां' को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक. बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंश्री रवि रतलामी जी को नमन और श्रद्धांजलि | ४००० वें अंक पर बधाई |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं