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गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

3720...जहाँ का दाना-पानी आपके नसीब में लिखा होता है...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया मीना भारद्वाज जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

आज हनुमान जयंती और विश्व स्वास्थ्य दिवस है, सभी को शुभकामनाएँ।

        राम जी की सेवा में पूर्णतः समर्पित हनुमान जी वैदिक साहित्य के अनूठे पात्र हैं। धार्मिक-साहित्यिक ग्रंथों में वर्णित हनुमान जी का चरित्र शौर्य, श्रद्धा,भक्ति और समर्पण का अनुपम उदाहरण है। हनुमान जी का संपूर्ण जीवन रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है जो हमारे जीवन में ऊर्जा का संचार करता है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस साल के लिए ध्येय वाक्य-"सबके लिए स्वास्थ्य" है। दरअसल स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है जिसे बिना किसी आर्थिक बोझ के देश के सभी नागरिकों को उपलब्ध कराया जाना सरकार की जवाबदेही होती है। 'आयुष्मान भारत योजना' जो सितंबर 2018 से भारत में आरंभ हुई जिसका अब नाम बदलकर 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' कर दिया गया है। इस योजना के तहत देश के अत्यंत ग़रीब परिवारों (सरकार का दावा है कि इस योजना से 10 करोड़ परिवार लाभांवित हो रहे हैं।) आयुष्मान कार्ड धारक परिवार के सदस्य कुल 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सरकारी या निजी अस्पताल में सालभर में ले सकते हैं। बाक़ी जनता अब सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सेवाओं का दाम चुकाती है।आयुष्मान कार्ड धारक की पात्रत्ता के आधार पढ़कर आपका सर चकरा जाएगा क्योंकि एक शर्त यह भी है कि पात्र व्यक्ति (परिवार का /की मुखिया) के पास कच्चा मकान हो।

*****

इस बहस से बाहर आकर अब चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर-

कहाँ जाएं किससे करे शिकायत

फिर मन न हुआ उसे  अपनाने का

जब मां ने कहा यह है खून का रिश्ता

तभी अपनाने का मन बनाया

फिर भी पहले जाना परखा तभी अपनाया।

कविता | अनुगूंज - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

बूंदें छोटी

पर

अनुगूंज बहुत बड़ी...

कब भरेगी बाल्टी

कब थमेगी ध्वनि

पता नहीं

बचपन न छीने कोई--

कौन सिखाता है इन को जनम से जुर्म बाज़ी,
कच्ची उम्र ही में कर जाता है ज़िन्दगी तबाह,
 
ये कैसी  रहगुज़र है, जहाँ इंसानियत है शून्य,
बस नफ़रत ही नफ़रत है, चारों तरफ बेपनाह,

मृत्यु के बाद एक पल

उस पलजब होंठों पर बर्फ़ की सिल्ली रख जाय,

कहीं कुछ ऐसा तो नहीं;

जो वापसी का दरवाज़ा खोल दे.

उधार की आंखों से मैने उसे कांपते हुए देखा

लिफाफा मेरी उंगलियों से टकरा चुका था,

जन्मभूमि ॥ हाइबन ॥

कुछ इसी तरह के वाक़यों को  देखते सुनते वह समय भी आ ही गया जिसके बारे में अक्सर सुना है कि - “जहाँ का दाना-पानी  आपके नसीब में लिखा होता है वहाँ आपको जाना ही पड़ता है।

पूर्व और पश्चिम का अनूठा संगम लिए दिल्ली और जयपुर के बीच लगभग समान दूरी पर अवस्थित है पिलानी

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं
    बेहतरीन अंक, सभी पहलुओं पर आलेख
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. विविधताओं से परिपूर्ण बहुत सुन्दर सूत्रों का संयोजन । बेहतरीन सूत्रों से सजी प्रस्तुति में “जन्मभूमि” को मान देने के लिए आपका सादर आभार ।सब को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर व सार्थक रचनाओं से सज्जित अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा एवं पठनीय लिंकों से सजी शानदार प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

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