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मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

3738 ..मोह निद्रा त्याग के तू छोड़ दे आलस्य मानव

 सादर अभिवादन

इंसान के "मैं" का भ्रम कब टूटता है?
एक बार कागज का एक टुकड़ा हवा के वेग से उड़ा और पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा...पर्वत ने उसका आत्मीय स्वागत किया और कहा भाई..यहाँ कैसे पधारे...? कागज ने कहा-अपने दम पर...जैसे ही कागज ने अकड़ कर कहा अपने दम पर और तभी हवा का एक दूसरा झोंका आया और कागज को उड़ा ले गया।
अगले ही पल वह कागज नाली में गिरकर गल-सड़ गया...जो दशा एक कागज की है वही दशा हमारी है।पुण्य की अनुकूल वायु का वेग आता है तो हमें शिखर पर पहुँचा देता है और पाप का झोंका आता है तो रसातल पर पहुँचा देता है।
किसका मान...? किसका गुमान...? सन्त कहते हैं कि जीवन की सच्चाई को समझो संसार के सारे संयोग हमारे अधीन नहीं हैं। कर्म के अधीन हैं और कर्म कब कैसी करवट बदल ले...कोई भरोसा नहीं इसलिए कर्मों के अधीन परिस्थितियों का कैसा गुमान...?

बीज की यात्रा वृक्ष तक है, नदी की यात्रा सागर तक है और मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक। संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है। हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं। इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि "मै" न होता तो क्या होता..!!

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जब तक वाणी पर
तुम्हारा वश नहीं होगा,
जब तक तुम्हारे आक्रोश का
ज्वालामुखी शांत नहीं होगा,
जब तक तुम्हारे मन की झील का विष
निथर कर बह नहीं जाएगा
तुम चुप रहोगे
तुम अपने अधर बिलकुल भी
नहीं खोलोगे !




मोह निद्रा त्याग के तू
छोड़ दे आलस्य मानव
कर्म निष्ठा दत्तचित बन
श्रेष्ठ तू हैं विश्व आनव
उद्यमी अनुभूतियाँ ही
हार में भी जीत देती।।


जब भी दिखता बिम्ब तुम्हारा,
मनका बन जाता।
धागा बनकर हृदय पिरोती,
जीवन मुस्काता॥
मन का मनका जपता तुमको,
मैं तो तर जाती॥




बैसाखी ने धूम मचाई
वसुन्धरा हर्षायी
कृषक मेहनत रंग लायी
खेतों में फसल लहलहायी..
हरियाली फिर भर आयी ..




कभी जिंदगी मूली -सी चरपरी  हो जाती है
कभी गाजर -सी मीठी
कभी-कभी प्याज के आँसू दे जाती
यही तो है जिंदगी ...।

आज के लिए बस
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर संकलन ..आभार ..मेरी रचना बैसाखी की धूम को संकलन में शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  2. संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है। हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं। इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि "मै" न होता तो क्या होता..!!
    बहुत ही सारगर्भित एवं चिंतनपरक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति...
    सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर पठनीय अंक। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार और अभिनंदन।

    जवाब देंहटाएं

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