।।उषा स्वस्ति।।
लाल होकर आंख भी दुखने लगी
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे
ऐंठ बेचारी दबे पांवों भगी.!
हरिऔध
गहन संदेश देतीं पंक्तियों के साथ
ढोल बजाना मत
गले पड़े जो ढोल बजाना मत
खुले अगर कुछ पोल छुपाना मत
छुई-मुई मालूम नहीं कब तक
रचे-बसे दिल खोल चिढ़ाना मत..
💮
कैसे तुम को याद करू मैं
तुम तो कभी मेरी सुनते ही नहीं
जितनी बार की प्रतीक्षा तुम्हारी
कभी आशीष तक ना दिया तुमने |
मेर्रे मन को ठेस लगी है
💮
एक पूरा दिन है और मैं हूँ
प्रदूषण
ट्रिन ट्रिन
"..."
"हेल्लो !"
"..."
"तुम्हारा उद्देश्य यही था न, अपने प्रति विशेष ध्यान दिलवाना और हर किसी को तुम्हारे प्रति आकर्षित कराना?"..
💮
अहद ए इश्क़ - -
रेत पे लिखे अल्फ़ाज़ हैं लहरें मिटा जाएंगे,
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर