हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
वो जो मशहूरी मसखरा होगा, आंख सेे कंठ तक भरा होगा।
तुमने दफना दिया उसे लेकिन, वो अभी तक नहीं मरा होगा,
मेरा चेहरा टपक गया है कहीं, आपके पास दूसरा होगा। हास्य कवि प्रदीप चौबे
मसखरा सबकुछ सुगढ़-परिष्कृत ढंग से करता है
और क्रूरता का नया सौन्दर्यशास्त्र रचता है।
सर्कस का मालिक बन बैठा है मसखरा,
जनमत उसके साथ है
ऐसा बताने के गणितीय तर्क हैं उसके पास।
फिर भी व्यग्र-उद्विग्न है मसखरा।
गम को खुशी बना दो तो कोई बात बने, तम को उजाला दे दो तो कोई बात बने,
बातें तो बहुत करते हो स्वर्ग की तुम, जमीं को जन्नत बना दो तो कोई बात बने- डॉ. रमेश धुंआधार
दुर्ग-नगर सरीखे इस विशाल बन्द सर्कस पण्डाल के बाहर
अभी निचाट सन्नाटा है, चिलकती धूप है
और यहाँ-वहाँ उठते कुछ धूल के बगूले हैं।
ऐसा भी होता है एक दिन
जब हम देखते हैं
मसखरों के हाथ में अमरूद की तरह अपनी दुनिया
मसखरे
दिखाते हैं अमरूद का करतब
हमें हँसाने के लिए
और हम डरना शुरू करते हैं
तरह तरह के खेल दिखाकर
उल्टा सीधा मुंह बना कर
कानों में चप्पल लटकाकर
छोटी सी एक पूंछ लगाकर
बच्चों का टट्टू बन जाऊं
जी करता जोकर बन जाऊं।
पर हंसी लाने की करनी है कल्पना।
ऐसे भावों की बनाना है तस्वीर,
खुशियों का मिल जाए खजाना।
कूची को दिए बिना विराम नित,
अपने आप ही करनी है साधना।
फ़िज़ाओं में जो ये खुशबू सी है आ बसी,
क्या गुजरा था मेरा महबूब कहीं इधर से होकर
आज आसमाँ से गायब हुआ है जो क़मर,
शायद रात छत पर मुस्कराया था वो आकर
वो जो मशहूरी मसखरा होगा, आंख सेे कंठ तक भरा होगा।
जवाब देंहटाएंतुमने दफना दिया उसे लेकिन, वो अभी तक नहीं मरा होगा,
मेरा चेहरा टपक गया है कहीं, आपके पास दूसरा होगा।
जी.दी गज़ब की रचनाएँ है सारी।
मसखरा, जोकर ऐसे शब्द हैं जो अपने आप में संपूर्ण भाव हैं ं अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति है।
हमेशा की तरह अनूठे विषय पर शानदार रचनाएँ पढ़वाने के लिए आभार आपका।
सादर प्रणाम.
सस्नेह।
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंसंसार का हर व्यक्ति जोकर ही तो है
चुनाव आ रहा है,जोकरों की भरमार होगी
आभार
सादर नमन
रोचक संकलन। मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार।
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