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सोमवार, 12 अप्रैल 2021

2096 --- फरिश्ते आ कर उनके जिस्म पर खुशबू लगाते हैं

 आज  की चर्चा में सोचा तो था कि किसी विधा का विशेषांक लगायेंगे .... लेकिन जब ब्लॉग भ्रमण पर निकले तो सोचा हुआ धरा की धरा रह गया .... ढूँढने कुछ और गयी और मिल कुछ और गया .... तो सोचा जो मिल रहा उसी को समेट लो ... न जाने फिर ये मिले या न मिले ...तो हाज़िर हैं आज के लिंक्स जो अनजाने ही मेरे हाथ बटेर की तरह लग गए ...अब देखना ये है कि आप लोगों को कैसे लगते हैं .... और कैसे तो तभी पता चलेगा जब आप पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया देंगे ......देंगे न ? पाँच ही तो लिंक हैं ....पढ़ ही लीजियेगा ...


आज वाकई में कहीं  की ईंट कहीं का रोड़ा ला कर भानुमती का कुनबा जोड़ा है .... नहीं कर रहे न आप  विश्वास ? चलिए मेरे साथ और देखिये कैसे कैसे अजब गज़ब लिंक्स हैं ... सबसे पहले भानुमती से ही मिलवा देती हूँ ....लेखिका बता रहीं अपने मन की बात  ... कि कैसी कैसी होती हैं  लुगाइयाँ ...... वैसे सोचा नहीं था कि इस  शीर्षक के तहत हमें  भुक्त भोगी  संस्मरण पढने को मिलेगा .... 

महिलाओं के मन की बात  महिलाएँ  ही जान सकती हैं .... 
अरे आपको  मन की बात  जाननी  है तो यहाँ चलिए मेरे साथ और पढ़िए कि इन मोहतरमा को आज क्या  इच्छा जागृत हुई है ....  मतलब कि ये  उन पलों से बाहर  ही नहीं आना चाहतीं ... जितनी  बार देखें वो लगे कि पहली बार देख रहीं हैं ----


एक ओर  बेइन्तिहाँ  प्रेम की अनुभूति है तो दूसरी ओर ज़िन्दगी में रिश्तों को निबाहने की ज़द्दोजहद ... बाबू मोशाय...... ये ज़िन्दगी है ...हर रंग मिलते हैं ....आसक्ति है तो विरक्ति भी है ... 


                                                              
अभी मैं आपको विरक्ति तक लायी ही थी कि फिर चक्र घूम गया और प्रेम कब पागलपन की सीमा तक जा बैठा कि समझ से परे है ...जब तक कुछ अलभ्य है तब तक ही लालसा है ... प्राप्त होते ही प्राप्य का मूल्य कुछ भी नहीं ....
पुरुष की फितरत को सही शब्द दिए और स्त्री के समर्पण को नया अंदाज़ । आप भी आस्वादन करें और विचारें  कि तुम और वो में कितना अंतर है ... 

                                            
                                                      सुधा देवरानी 


इस लिंक को पढ़ कर सोचने पर तो सभी मजबूर हुए होंगे .... खैर   ...चलिए अब आप मेरे साथ  एक ऐसे विचारक के पास जो बात स्वयं से शुरू करते हैं और किस्से के साथ क्या क्या सन्देश देते चलते हैं ये पाठक को खुद तय  करना पड़ता  है ... आज कल ब्लॉग पर थोडा निष्क्रिय हैं ...लेकिन हो सकता है शीघ्र ही अपने ब्लॉग को सजीव करें ... मुझे ऐसी उम्मीद है ...कहते हैं न कि एक बिहारी सब पर भारी ....तो मैं तो अब हट रही हूँ आपके और भाई  बिहारी  उप्प्स  सलिल जी के बीच से ...वो  खुद ही कह रहे चला बिहारी   ब्लॉगर बनने ... जी हाँ  ये उनके ब्लॉग का नाम है ... आइये करते हैं उनसे मुलाकात उनके ही ब्लॉग पर जहाँ वो फ़रिश्ते की बात कर रहे हैं ...


                       सलिल  वर्मा .                        

पढ़ा आपने ?  सलिल जी  ने बात  शुरू  की थी  सांता की, उसके उपहारों की और अंत में छोड़ दिया सोचने के लिए कि  समाज में  कितनी  विसंगति  है .... 

उम्मीद करती हूँ कि आज भी आपको सभी लिंक्स ज़रूर पसंद आयेंगे ... लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा ?  प्रतिक्रिया देंगे न आप पढ़ कर ? आप सभी की प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं ... आप ही मुझे लिंक्स  खोजने में सहायक हैं ...आपके सुझाव  हमें बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं ...
आज बस इतना ही .... फिर मिलते हैं .....अगले सोमवार को इसी मंच पर ... कुछ नए पुराने चिट्ठे ले कर  .... तब तक के लिए नमस्कार ... 

27 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी
    वास्तविक अवलोकन
    अभी अनुप्रिया जी को पढ़ी
    अनछुआ ब्लॉग था मेरे द्वारा..

    उस उम्र की नजाकत को
    बार बार देखना है...
    मुझे हर बार तुम्हें
    पहली बार देखना है।

    जरा सा इश्क, जरा सी आस
    जरा सी शर्म,जरा सी प्यास,
    जरा सा ख्वाबों में तुमको
    बेकरार देखना है...
    मुझे हर बार तुम्हें
    पहली बार देखना है।
    पढ़ती हूँ क्रमशः..
    सादर नमन..

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    उत्तर
    1. शुक्रिया यशोदा, तुमको कुछ नया मिला , अच्छा लगा जान कर ।

      हटाएं
  2. सुरुचिपूर्ण संयोजन ,संगीता जी धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार , प्रतिभा जी । आपका आना मेरे लिए आशीर्वाद है ।

      हटाएं

  3. सुबह- सुबह ही आपकी लिंक देखी....लुगाइयाँ ‘और `फ़रिश्ते आकर उनके बदन पर खुशबू लगाते है!’...हैडिंग पढ़ कर ही मन में आनन्द छा गया और सारी पोस्ट फटाफट पढ़ कर कमेन्ट भी कर आई. एक दो पर कई बार कोशिश करने पर भी दर्ज नहीं हो सकी...बाकी सभी के भी लिंक बढ़िया...बधाई आपको और सभी रचनाकारों को👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. क्या बात है उषा जी । आज तो सुबह सुबह चर्चा और लिंक्स पढ़ लिए गए ।
      एक दो जगह मोडरेशन लगा हुआ है । इस लिए टिप्पणियाँ तुरंत प्रकाशित नहीं होतीं ।
      आपकी प्रतिक्रिया उत्साह बढ़ाती है ।
      शुक्रिया

      हटाएं
  4. दिलचस्प चर्चा, बढ़िया लिंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  5. दीदी!
    सुबह की व्यस्तता के मध्य सारी लिंक्स को देखा, पढ़ा और गुना... पुराना समय याद किया... इन्हीं गलियों में कभी कितनी स्वतंत्रता से घूमा करते थे और आज यही गलियाँ अनजान लग रही हैं। आशा करता हूँ कि ये गलियाँ फिर से गुलज़ार होंगी।
    मेरी एक पुरानी पोस्ट को स्थान देने के लिये धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सलिल जी ,
      आपको पुनः इन गलियों में विचरता देखना चाहती हूँ । ये गलियाँ यूँ ही तो गुलज़ार नहीं होंगी .... अब तो थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी । आपकी तो बहुत सी पोस्ट ऐसी हैं जिन्हें पढ़ना चाहिए । आप यहाँ आये , अपनी प्रतिक्रिया दी इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

      हटाएं
  6. प्रिय दी,
    सादर प्रणाम।

    चिट्ठा समुंदर से आपके द्वारा निकाले गये पाँच बेशकीमती मोतियों की शोभा अप्रतिम है।
    नये-पुराने चिट्ठों का समन्वय लाज़वाब लगा।
    प्रतिभा जी की रचना में स्त्रियों की मानसिकता का गज़ब विश्लेषण,अनुप्रिय जी के द्वारा भावनाओं का सुंदर संयोजन, ज्योति जी की विरक्ति मानव मन के आरोह-अवरोह का सुंदर दर्शन है, सुधा जी ने तो अंतस भिगो दिया बेहद क़माल लिखा है और आदरणीय सलिल सर के अद्भुत लेखन ने निःशब्द कर दिया।
    रचनाओं के साथ संलग्न आपकी प्रतिक्रिया आज का अंक
    विशेष बना रही।
    अत्यंत सुंदर एवं सराहनीय संकलन दी बहुत अच्छी लगी।

    सप्रेम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      हर लिंक्स पर तुम्हारी सटीक और सुंदर प्रतिक्रिया मन को उत्साहित कर रही है । तुमको सभी लिंक्स की रचनाएं पसंद आईं ,जान कर अच्छा लगा ।
      सस्नेह

      हटाएं
  7. संगीता जी, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है क्या बोलू, आश्चर्यचकित हूँ ये 2009 की रचना जिसे मैं खुद भूल गई थी उसे आपने इस चर्चा मे शामिल करके मुझे पुराने दिनों की याद दिला, कितने पुराने ब्लॉगर की कंमेंट को वापस पढ़ी , आँखे नम हो गई, पुराने लोगों के साथ नये लोगों को जुड़ते देखा तो बहुत ही खुशी हुई,तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ आपका जो आपने मुझे इस काबिल समझा , बहुत भावुक हो गई हूँ, कुछ कह नही पा रही ,हार्दिक आभार, आपकी मेहनत को सलाम । शानदार प्रस्तुति, सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ , सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  8. टाइप के समय कुछ गलतियां हो गई उन्हें सुधार कर पढ़ लीजियेगा, जैसे याद दिला दी, ब्लोगरों के कंमेंट आदि, शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रिय ज्योति ,
    अरे! इतना भावुक होने की तो कोई बात ही नहीं है । बस यूँ ही ब्लॉग्स पर घूमते घूमते पढ़ती रहती हूँ और जो रचना पसंद आती है उसे इस मंच पर लगाने के लिए ले आती हूँ , चहहति हूँ कि ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ सकें । तुम तो हमारे उस समय से ही साथ हो जब हम लोगों की ब्लॉगिंग चरम पर थी , हम लोग ब्लॉगिंग से विमुख हो गए लेकिन तुम पर फख्र है कि तुम अब तक नियमित लिख रही हो । सदैव यूँ ही अपनी भावनाएं और विचार रचती रहो । शुभकामनाएँ ।
    सस्नेह

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्तर
    1. गिरीश जी ,
      आज आपके आने से मेरी चर्चा सफल हो गयी । हार्दिक आभार 🙏🙏

      हटाएं
  11. आदरणीया मैम,
    अत्यंत रोचक और अनंदकर प्रस्तुति सदा की तरह। सभी रचनाएँ सुंदर और सशक्त हैं। लुगाइयाँ दैनिक जीवन पर आधारित एक रोचक और हास्यास्पद लेख है जो हर स्त्री को प्रेरणा भी देती है। "मुझे हर बार" कविता भी बहुत सुंदर और सुखद रचना लगी जिसने मन में आनंद भर दिया। "तुम और वो"एक बहुत सुंदर कविता जो मुझे लगता है कि हर पुरुष को पढ़नी चाहिए।
    फरिश्ते आकर उनके जीएम पर खुशबू लगाते हैं एक बहुत ही अंदर लेख है जो अंत में समाज की विसंगति को दर्शाकर एक करुण अंत के साथ खत्म होता है। हर एक रचना बहुत ही सशक्त और सुंदर थी। हृदय से आभार इस सुंदर और अनंदकर प्रस्तुति के लिए जिस से बहुत से नए विचार और नयी जानकरियाँ मिली व आप सब को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता ,
      आपकी प्रतिक्रिया से मन में संतुष्टि हुई । आपको मेरे द्वारा किया चयन रुचिकर लगा इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
      सस्नेह

      हटाएं
  12. हलचल के मंच पर आप और आपकी प्रस्तुति अपने अनोखे अंदाज एवं अद्भुत लेखन शैली हम पाठकों के मन में भी अपार हलचल पैदा कर रही है आ.संगीता जी !
    एक से बढ़कर एक उम्दा लिंकों के साथ अपनी पुरानी रचना वह भी आपकी सराहनासम्पन्न सारगर्भित प्रतिक्रिया के साथ पाकर मन बाग-बाग हो गया...।
    पुरानी रचनाओं में बहुत सारी अनमोल प्रतिक्रियाएं जो मेरे लिए पुरस्कार स्वरूप थी उनके न होने पर मन व्यथित रहता है आज फिर से सभी प्रबुद्धजनों की प्रतिक्रियाओं से इतनी खुशी मिली कि बयां नहीं कर सकती। मैं आप सभी की तहेदिल से आभारी हूँ एवं आ.संगीता जी का हृदयतल से धन्यवाद करती हूँ कि उन्होंने मुझे यहाँ स्थान दिया।
    इतनी श्रमसाध्य एवं शानदार प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुधा जी ,
      मैं तो आपकी इस कविता की प्रशंसक हूँ ,क्या सटीक शब्दों से हर बात को उभारा है । वैसे आपके ब्लॉग पर गयी तो थी कोई लघु कथा लाने । लेकिन यह कविता पढ़ते ही सब कुछ भूल भाल कर इस मंच पर लाने का मन हो आया । इसमें मेरा नहीं बल्कि आपके लेखन का कमाल है । अधिकतर मैं पुरानी रचनाएँ इसलिए लाती हूँ क्यों कि जब तक कोई नया ब्लॉगर स्थापित होता है तब तक उसकी बेशकीमती कई रचनाएँ पाठकों द्वरा बिना पढ़े ही रह जाती हैं जैसे कि आपकी ये कविता ।
      प्रस्तुति पसंद आने के लिए हृदयतल से आभार ।

      हटाएं
  13. एक शानदार अंक प्रिय दीदी। रोचक लेख और अनमोल कविताएँ पढ़कर बहुत अच्छा लगा। सभी रचनाकारों को नमन। सलिल जी को अक्सर पढती हूँ तो अनुप्रिया जी को पहली बार पढ़ा। प्रतिभा की तो कमाल है तो ज्योति जी और सुधा जी बेमिसाल हैं। सब आपका श्रम और उपकार है जो नायाब लिंकों तक पहुंचाया। कोटि आभार और प्रणाम 🙏🌹❤🌹❤

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    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      तुम्हारी प्रतिक्रिया का हमेशा इंतज़ार रहता है , क्योंकि तुम अपनी टिप्पणी में सटीक व्याख्या कर देती हो , मैं कमी जानने के लिए ज्यादा उत्सुक रहती हूँ । क्योंकि तभी न कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी ।
      तुमको सभी लिंक्स की रचनाएं पसंद आईं ,यह जान कर प्रसन्नता हुई ।
      सस्नेह

      हटाएं

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