शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
आज पाँच लिंक परिवार ने 3000 क़दम तय कर लिए।
आपसभी गुणीजन,प्रतिभासंपन्न साहित्यकारों, पाठकों के अमूल्य सहयोग और स्नेह के लिए हमारा परिवार
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद एवं विनम्र आभार प्रकट करता है,
अबतक का यह सफ़र आपके साथ से ही सुखद रहा है आपका सहयोग सदैव बना रहे यही कामना है।
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महामारी के ताडंव से त्रस्त असहाय बीमार और परिजनों,प्रियजनों के मुरझाए, हैरान-परेशान चेहरे,कष्ट, दुःख,विलाप,
दौड़ते-भागते,हाँफते साँसों के लिए जूझते परेशान लोग अनगिनत जलती चिताएं मन विचलित कर रहे। क्या कहना चाहिए पता नहीं समझ नहीं आ रहा।
इस कठिन समय में हम एक-दूसरे का भावनात्मक सहारा बन सके तो शायद मानसिक ढ़ाढ़स मिलें।
बुद्धि विवेक संज्ञा शून्य हैं कोई उत्साह महसूस नहीं हो रहा। यह एक भयावह बुरा समय है, जिसके दंश के चिह्न पीढ़ियों तक इतिहास के धुंधले पृष्ठों में एवं सभ्यताओं के मिटने के बाद भी दंतकथाओं की तरह अमिट रहेंगे।
हम मनुष्य अपनी स्वार्थपरता के लिए करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं और
हम प्रार्थना करते हैं कि
हे! प्रकृति अपने शाप से हम मनुष्यों को मुक्त कर दो।
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
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आज की रचनाएँ बिना किसी विश्लेषण के -
दूजी लहर कोरोना वाली
मुन्तज़िर मैं नहीं तेरे आने का
तू ही दर पर मेरे सवाली है ।
घड़ी बिरहा की अब टले कैसे
आयी दूजी लहर कोरोना वाली है
अनुभूति
अधिक गहरी
सुनी जा सकती है।
अनुभूति
में फूलों का रंग
वैसा ही होता है
जैसे
कोई
सबसे अधिक पढ़ी गई
किताब
का हर
वक्त सिराहने होना।
मुझे एक बात समझ में आ गई. तोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं। जय श्री राम, जय भीम या आजादी-आजादी बोलने वाले तोते तो वे होते हैं जिन्हें पढ़ाया/रटाया जाता है।
कोरोना-संक्रमण की निर्बाध गति को और उसको बेतहाशा फैलने से रोकने के उपायों को, हम पूर्ण तिलांजलि दे कर महा-कुम्भ का भव्य आयोजन कर रहे हैं.
अब तक के तीनों शाही स्नानों में डुबकी लगाने वालों की संख्या दस-दस लाख से कहीं ऊपर गयी है.
सरकार द्वारा प्रायोजित इस आत्मघाती समारोह के कारण कोरोना-संक्रमण किस भयावहता से देश में अपने पाँव पसारेगा, इसकी तो कल्पना करने का भी किसी का साहस नहीं होता.
एक सुंदर स्तुति
मंगल-भवन प्रभु राम हैं तो,
सुमंगला माँ जानकी।
व्याधि हरें भगवान तो,
सुख-स्वाथ्य दें माँ भगवती।
जिस भाव के भूखे प्रभु,
वह भावना माँ जानकी।
जिस प्रीति से प्रकटें प्रभु,
वह प्रीति है माँ भगवती।
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कल का विशेष अंक लेकर आ रही है
प्रिय विभा दी।
आज के लिए आज्ञा दीजिए।
#श्वेता
3000वें कदम की इस विशेष उपलब्धि पर पांच लिंक परिवार को बधाई!!!🌹🌹🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत ही करुण भूमिका के साथ सुंदर और भावपूर्ण रचनाओं से भरी प्रस्तुति।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार।
आपका यह स्नेहिल प्रोत्साहन सदा ही कृतज्ञता से भर देता है। पुनः आभार व आप सबों को प्रणाम।
व्याकुल मन से भी बहुत सुन्दर लिंक्स चयन किये ...
जवाब देंहटाएंहम मनुष्य अपनी स्वार्थपरता के लिए करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं और
हम प्रार्थना करते हैं कि
हे! प्रकृति अपने शाप से हम मनुष्यों को मुक्त कर दो।
यही प्रार्थना है .
३००० वें अंक के लिए इस मंच से जुड़े हर सदस्य को बधाई ...
3000 वें.अंक की.बधाई
जवाब देंहटाएंआपको खूब बधाई...शानदार लिंक है और शानदार रचनाओं का चयन। आपका आभारी हूं जो मेरी रचना को आपने मान दिया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई व भविष्य के लिए शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण भूमिका के साथ मनोहारी अंक प्रिय श्वेता। मारक व्यंग कथा और गोपेश जी के चिंतनीय लेख के साथ भावों से भरी कविताएँ पठनीय हैं। 3000 अंक अपने आप में बहुत बड़ी यात्रा है। समस्त पाठक वृंद और चरचाकरों को बधाईयाँ। मंच की महफ़िल यूँ ही आबाद रहे यही कामना है। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ढेर -सा स्नेह 🌹❤
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता,
जवाब देंहटाएंसचमुच बुरा समय है। चिंतन करने को बाध्य करती है आज के अंक की भूमिका। दुनिया से मानो सारी रौनकें, सारी चहल पहल ही खत्म हो गई है। हर कोई एक अनजाने भय में जी रहा है। माँ से यही प्रार्थना है कि अब इस कोरोनारूपी राक्षस का अंत करें।
पाँच लिंकों के 3000 अंक पूरे करने के लिए सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई। आप सबकी लगन और मेहनत को सलाम। शुभकामनाओं के साथ, स्नेह।
आभार।
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