सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है।
करोना काल के
साक्षी हैं हम,
आँकड़ों को दबाने के
आकाँक्षी हैं हम?
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
समर... पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
बाधाएं, विशाल राहों में,
पर, क्यूँ हो मलाल चाहों में,
भूलें ना, इक प्रण,
कर शपथ, छोड़ेंगे हम ना रण,
तोड़ेगे हर इक घेरा, समर है ये मेरा,
बाधा की, अंतिम हद तक,
लड़ना है मुझको ही!
एक गीत-टोकरी भरकर गुलाबी फूल लाऊँगा...जयकृष्ण राय तुषार
फिर हँसेंगे
बाजरे
और धान खेतों में ,
दौड़ते
होंगे हिरन
दिनमान रेतों में ,
चाँदनी
में फिर
तुम्हें किस्से सुनाऊँगा |
बस इतनी सी बात... अभिलाषा चौहान
खौफ से
काले पड़े चेहरे पर
पथराई फटी आँखें
देखती मंजर
अपने जनाजे का
जिससे दूर है काँधा
गैरों सी जिंदगी
तुम्हीं दया हो, तुम्हीं क्षमा हो, तुम्हीं क्षुधा-तृष्णा स्मृति।
तुम्हीं निद्रा तुम्हीं श्रद्धा, तुम्हीं तृप्ति, भक्ति मातृ धृति।
तुम्हीं तुष्टी, तुम्हीं पुष्टि,लोभ , लज्जा कांति।
समस्त शक्ति तुम ही माते, तुम्हीं शांति तुम्हीं क्रांति।
राम की शक्ति पूजा और स्वशक्ति जागरण...अलकनंदा सिंह
निश्चितत: समाज की प्रथम इकाई अर्थात् स्वयं हम और हमारे विकास के लिए भी "स्वशक्ति का जागरण" अब समय की अनिवार्यता है क्योंकि स्वशक्ति को जाग्रत किये बिना हम वंचित कहलायेंगे और वंचित बने रहना, दयनीय दिखते या दिखाते रहना रुग्णता है, और रुग्णता ना तो व्यक्ति को शक्तिवान बनाती है ना ही समाज को।
आदरणीय सर, समसामयिक विषय पर अत्यंत सुंदर प्रस्तुति जो आज की परिस्थिति को दर्शाती भी है और इस से संघर्ष करने की प्रेरणा भी देती है। हृदय से अत्यंत आभार इस प्रेरक प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सभी लिंक्स अच्छे
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स । अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक समूह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर
जवाब देंहटाएंBAhut hi accha likha aapne. Hindipradesh
जवाब देंहटाएंbahut acchi jankar
जवाब देंहटाएंस्वामी विवेकानन्द