आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जब नब्ज़ ज़िंदगी की
टटोलने पर मिलती नहीं,
साँसें डरी-सहमी
हादसों की तमाशबीन-सी
दर्शक दीर्घा में टिकती नहीं,
चौराहे पर खड़ा वक़्त
राह भटका मुसाफिर हो मानो,
रात ज़िंदगी की अंधेरों में
भोर की किरणें टटोल रहा है...।
हवाओं की तरह सहलाते हुए,
पिघले मोम की तरह ढल रही हूंँ समय के साचे में
कुछ शिकायतें कुछ जिद्द बड़ी अपनी सी पर..
कोई तो है अंदर जो संभाले हुए है इसलिए
ओ मेरी जिंदगी तेरी इस नज़र का शुक्रिया।
दुआओं में उसे मांगकर,
उसको अपना बनाकर,
उसकी सांसों में समाकर,
उसकी ही आगोश में
मरना चाहती हूँ।
झाँक के घर में हमें बुलाता,
मित्रों का वो झुंड निराला ।
घंटों संग में धूम मचाते,
मुँह में जाता नहीं निवाला ।।
घर लौटें,जब ताऊ चाचा,
आँख दिखाते बड़ी बड़ी ।।
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भुगोल होकर
इतिहास
हो रही हैं।
घूरती आंखों के बीच
सच
निःशब्द सा
खिसिया रहा है।
सबसे पहले यशोदा जी के स्वास्थ्य लाभ की कामना..।आभार श्वेता जी...। इस दौर पर गहरी प्रस्तुति...। शानदार चयन।
जवाब देंहटाएंप्रिय यशोदा के लिए दुआ कि शीघ्र स्वस्थ हो . श्रमसाध्य चर्चा लगायी है ... बहुत सुन्दर लिंक्स का समावेश किया है .... बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक सुंदर रचनाओं का संकलन,इनमे मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया श्वेता जी
जवाब देंहटाएंआज बता चला कि यशोदा दी बीमार है,परमात्मा उन्हें यथाशीघ्र स्वस्थ लाभ दे,सादर नमन उन्हें
आदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर विविध भावों से भरी प्रस्तुति आज की । सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक सुंदर और भावपूर्ण हैं । यादों का परिदृश्य आज की मेरी प्रिय रचना रही । हमारी यशोदा मैम के लिए ढेर सारी प्रार्थनाएं, वे जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएं । इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवं आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं की संकलन के बीच अपनी संस्मरण को देख बहुत खुशी हुई। इसके लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंयशोदा दी के लिए ढेर सारी प्रार्थनाएं।
श्रमसाध्य कार्य के लिए बधाई।
सादर।
बहुत बढ़िया संकलन, यशोदा दी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की आकांक्षा।
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी,आज का अंक बहुत ही सुंदर और रोचक है,आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय यशोदा दीदी के स्वास्थ्य के लिए मंगलकामना करती हूं,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन।
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