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बुधवार, 28 अप्रैल 2021

3012 ....चिराग दिल में उम्मीद का तेल भर देती

सादर नमस्कार
पम्मी बहन का संदेश आया
प्रस्तुति नहीं बना पाऊँगी
सही व सटीक संदेश
बहन रिक्वहरी पीरियड में है

अविरत गतिमय ज्योतिपुंज हूँ
निर्बाधित संगीत अनोखा,
सहज प्रेम की निर्मल धारा
पावन परिमल पुष्प सरीखा !

चट्टानों सा अडिग धैर्य हूँ
कल-कल मर्मर ध्वनि अति कोमल,
मुक्त हास्य नव शिशु अधरों का
श्रद्धा परम अटूट निराली !


गालियां देता मन
दहशत भरा माहौल
चुप्पियां दरवाजा
बंद कर रहीं
खिड़कियाँ रहीं खोल

थर्मामीटर नाप रहा
शहर का बुखार
सिसकियां लगा रहीं
जिंदा रहने की गुहार
आंकड़ों के खेल में
आदमी के जिस्म का
क्या मोल


प्रकृति के पोर-पोर को,
दूह-दूह जो खायी है।
प्रतिक्रिया प्रतिशोध जनित,
यह कुदरत की कारवाई है।

काली करतूतों का जहर,
वायुमंडल में छितराया है।
ओजोन छिद्र के गह-गह में,
जीवाणु-गुच्छ भर आया है।


चिराग दिल में उम्मीद का तेल भर देती
ताकि रौशन रहे दर तेरी यादों का
इस आस में कि कभी इस गली
भूले से आ जाए वक्त चलकर
दोहराने हर बात शबनमी शामों की
और वापस न लौट जाए कहीं
दर पे अँधेरा देखकर।
......
किसी न किसी को तो हिम्मत करना ही होगा
वरना सारे अंकों में स्थगित अंक का पैबंद लगता चला जाएगा
पाँच से चार में है आज
कल शायद फिर पाँच हो जाए
सादर


10 टिप्‍पणियां:

  1. हम सुरक्षित
    देश सुरक्षित
    स्वार्थ साधकों से सावधान
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. साधुवाद
    अपना और अपनों के स्वास्थ्य के कारण मनोस्थिति विरक्ति की ओर
    वापसी की कोशिश

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय सर,
    अत्यंत सुंदर और सामयिक प्रस्तुति। हर एक रचना सुंदर और प्रेरणादायक है । आदरणीया अनीता मैम की रचना बहुत ही सुंदर और अध्यात्म भाव से भरी हुई है और हमें अपने आनंदित और निर्मल स्वभाव का स्मरण कराती है । आदरणीय ज्योति सर की गुहार महामारी के समय और भ्रष्ट व्यवस्था का मार्मिक सत्य उजागर करती है। आदरणीय विश्वमोहन सर की रचना बहुत प्रेरक है और बहुत सुंदर संदेश देती है । आदरणीया श्वेता मैम की रचना पढ़ कर मन सदा की तरह आनंदित हो गया, सुंदर भावों को सहेजी कोमल रचना बहुत प्यारी है । सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  4. पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति !सभी स्वस्थ रहें और अपने अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते रहें।

    जवाब देंहटाएं
  5. कल की कलम भाई रवींद्र जी की..
    अग्रिम आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर संकलन।
    दिग्विजय भाई, क्या बात है मुझ से कोई गलती हुई है क्या? कई दिनों से मेरी कोई रचना पांच लिंको का आनंद में शामिल नहीं की गई है।

    जवाब देंहटाएं

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