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रविवार, 29 दिसंबर 2019

1626....नव भोर उल्लासित रहे


जय मां हाटेशवरी.....
नव-वर्ष हमसे केवल 2 दिन दूर है.....
नव वर्ष में हर कोई अपने सपनों व आकांक्षाओं को पूरा होता देखना चाहता है.....
हम भी यही कामना करते हैं कि......
आप सभी पाठकों की नव वर्ष में हर इच्छा पूरी हो.....
आने वाले वर्ष में भी,
अब न और कुछ ख़्वाहिश है,
बस आप हर साल हमसे जुड़े रहे,
 यही आपसे गुज़ारिश है।
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता,
ना नया साल आने पर ना पुराना साल गुज़र जाने पर।
आप सभी को नव वर्ष 2020 की  हार्दिक शुभकामनाए....
अब पेश है....आज के लिये मेरी पसंद।





मैं जिसको उस मोड़ पर ,
क्या कहूं उनसे भी ,
कुछ भी नहीं बदला ,
सिवा इस उम्र की तरह ..........



मारीना त्स्वेतायेवा- लिखने के दौरान 1
धड़क रहा था. इसलिए नहीं कि कहीं वो नापसंद न कर दें बल्कि इस शर्मिंदगी में कि जेएनयू में रुसी विभाग के विभागाध्यक्ष और मारीना का अनुवाद करने वाले इत्ते जानकार
वरयाम जी मेरा मारीना पर लिखा कुछ पढ़ रहे थे...

खुद को बचाये रखना...
लोगों का क्या, वो नफरत लिखेंगे हज़ार तेरी हथेली पर,
तुम बस दिल में बसी मोहब्बत पर भरोसा बचाए रखना
इस रंग बदलती दुनिया में लोगों के वजूद बदलते हैं
तुम खुद के अंदर खुद को बस बचाये रखना...


लघुकथा : निशान अँगूठी का
माँ अंगूठी तो उतार दी ,पर अंगूठी के  इस निशान का क्या करूँ ...

 नव भोर उल्लासित रहे
वरना सच तो
सबका ज़मीर जानता है..

रंग
कोई परेशानी नही रंग लगवाने से मगर क्या आप जानते हो कि होली का मतलब क्या होता है , रंगों का मतलब क्या है फिर थोडा रुक कर बोली- रंग का अर्थ है एक रंग में रंग जाना, समान हो जाना, बाहरी और भीतरी भेद का मिट जाना, क्या आपको लगता है आप अपने मन का हर मैल धो कर हाथ में सच्चाई का रंग ले कर आये हो। आपने आज तक मेरे साथ पिछले सारे दिनों जैसा व्यव्हार किया क्या उस रंग से मुझे रंग कर अपने अभिमान की संतुष्टि कर सकेंगे। मुझे भी पता है प्रेम करना या प्रेम हो जाना गलत नही यह तो ईश्वरीय गुण है मगर प्रेम में ना छल का स्थान है ना बल का, मगर आशक्ति को प्रेम कहना आपका निरा भ्रम है। मै अब आप पर छोडती हूँ कि आपको किसे रंग लगाने की आवश्कता है, मेरे तन को या अपने मन को।
जानती हो मेरी बातें सुन कर पहले तो कुछ क्षण वह मूर्तिवत खडा रहा फिर वो चुपचाप मेरे पैरों के पास सारा रंग रख कर चुपचाप चला गया। मै जानती हूँ अब वो सिर्फ अपने मन की सच के रंग मे रंग रहा है। अब उसे किसी की जरूरत नही। वो अब सच में गिरधारी है। अब उसे किसी रीमा पर आश्क्ति नही होगी।

प्रवाह
यह प्रवाह है उस सरिता का
जो चट्टानों से लड़ती है
आज बस इतना ही......
नव वर्ष आप सभी के लिये मंगलमय हो......
इस आशा के साथ नव वर्ष में फिर मिलेंगे.....
धन्यवाद।

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    मैं जिसको उस मोड़ पर ,
    क्या कहूं उनसे भी ,
    कुछ भी नहीं बदला ,
    सिवा इस उम्र की तरह ..........
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    आभार आपका..

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुति के साथ सुंदर संकलन।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक आभार संग असीम शुभकामनाएं
    आपका हर पल उल्लासित हो

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति सद्भावों से भरी सार्थक भुमिका।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संकलन, कुलदिप भाई। सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  6. सद्भावनाओं से भरी विशेष प्रस्तुति प्रिय कुलदीप जी | आपके चुने सभी लिंक बहुत सराहनीय हैं | भुमिका भावनाओं का निर्मल उच्छ्वास है | सचमुच सभी को अगर वर्ष मन्युं ही मिलजुलकर रहना होगा | इसी में जीवन का आनन्द है | सभी को हार्दिक शुभकामनाएं| और आपको वेशेष बधाई इस विशेष आत्मीयता भरे अंक के लिए | नववर्ष में आपकी अगली प्रस्तुति की प्रतीक्षा रहेगी |

    जवाब देंहटाएं

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