स्नेहिल अभिवादन।
हालात
शब्द से समसामयिक तत्कालिक घटनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट होता है।
देश की अर्थव्यवस्था हो या विभिन्न राज्यों में होने वाली स्त्रियों के साथ बर्बरता की पराकाष्ठा, कानून-व्यवस्था की धज्जियाँँ और भी बहुत।
कुल मिलाकर असंतोषजनक हालात।जिसे बदलने.के लिए आवश्यकता है आम जनता की सक्रिय सहभागिता और जागरूकता की।
हर बात के लिए पुलिस प्रशासन या
सरकार पर हमारी जरुरत से ज्यादा निर्भरता ने
हमें पंगु बना दिया है।
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बीते पल में हमें हासिल क्या?
जो बदल नहीं हम सकते है
सवालात पर विचलित होना क्यूँ?
हालात पर व्यर्थ का रोना क्यूँ?
आइये आज के हमक़दम की विशिष्ट रचनाएँ पढ़ते हैं।
हालात जैसे शब्द पर लेखनी चलाना आसान नहीं था आप सभी की प्रतिभा,रचनात्मकता से सब संभव है।
आप सभी के सहयोग से हमक़दम का खूबसूरत सफ़र ज़ारी है।
आप सभी प्रबुद्ध क़लमकारों को सादर प्रणाम एवं आभार।
आइये आज की रचनाओं का आनंद लेते हैं-
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सरकारी अस्पतालों की स्थिति है बद से बदतर
सरकारी स्कूलों के "डे-मील" खा रहे हैं "बन्दर"
बस शहर के मंदिरों-मस्जिदों के फर्श चकाचक
और इनके कँगूरे-मीनारों के हालात ठीक हैं ...
आदरणीया
अब अपने हुए पराए |
पर कारण तक पहुँच न पाया
क्या किशोरावस्था हावी हुई ?
अपनों की सलाह रास न आई
आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
नरभक्षी मानव बना,करे घात पर घात।
करे घात पर घात,हवस का बना पुजारी।
करता मीठी बात,बना तलवार दुधारी।
कहे अपना खुद को,मुंह से लार टपकती।
बहू हो या बेटी,देखी आग में जलती।
आदरणीया
सुजाता प्रिया जी
हालात के आगे नारियाँ मजबूर हो गयी
दूध की लाज न रखे, बने न राखी रखवाले।
हाड़-मांस के पुतले तुम पत्थर के दिलवाले।
माँ-बहनों की इज्जत भी चकनाचूर हो गई।
लूट जाना जिनकी आवरू दस्तूर हो गई।
आदरणीया अनुराधा जी
छली-सी खड़ी
हे माधव
हे गोविन्द हे त्रिपुरारी
बचा न सको
तो मिटा दो तुम नारी
न रहेगी जननी
न बढ़ेगी सृष्टि
बिगड़ेंगे हालात
बंजर धरा
काँटो भरी होगी।।
आदरणीया कुसुम जी
वजह क्या थी
हवाओं की पुरजोर कोशिश
उसे उडा ले चले संग अपने
कहीं खाक में मिला दे
पर वो जुडा था पेड के स्नेह से
डटा रहता हर सितम सह कर
पर यकायक वो वहां से
टूट कर उड चला हवाओं के संग
वजह क्या थी ?
आदरणीया
शुभा मेहता
दुष्कर हैं हालात !
बादल,क्यों करते हो
इतना पक्षपात ?
ओ जल वितरण के ठेकेदार !
तुम पर भी छाया भ्रष्टाचार?
★★★★★
आज का हमक़दम कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियाएँ मनोबल बढ़ा जाती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले।
#श्वेता
बहुत सुंदर प्रस्तुति।हालात से रूबरू करती सभी रचनाएँ बेहतरीन।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना को इस विशेषांक में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंशानदार अंक...
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ लेखन..
शुभकामनाएं..
सादर...
वाहः बेजोड़
जवाब देंहटाएंअद्वितीय संकलन
अप्रतिम अंक 👌👌
जवाब देंहटाएंश्वेता जी संग यशोदा जी और दिग्विजय जी - आपसभी को समय-समय प्नर मनोबल बढ़ाने के लिए मन से नमन और आभार .. "हालात" विषय पर आज के हमक़दम के 98वें अंक की सारी रचनाएं हमारे समाज के लिए एक "उत्प्रेरक" जैसी हैं ... इस संकलन के लिए अलग से आपको और सारे (सारी भी) रचनाकारों को नमन ...
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति श्वेता !मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाओं से सजा हमकदम का यह अंक |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार श्वेता जी |
बहुत बढ़िया संकलन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ देश ,समाज ,वातावरण के हालत को वया करती एक से बढ़कर एक रचनाएँ ,सभी रचनाकरों को हार्दिक बधाई एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंभुमिका अपने में बहुत कुछ समेटती बहुत खास बनी है।
जवाब देंहटाएंहालात पर बहुत शानदार रचनाएं आई है सभी रचनाकारों को बधाई मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंलाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंमानसिक परेशानियों से भरे क्षणों में साहित्य और कला बहुत बड़ा सहारा बनते हैं।
बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शेता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
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