शरमाती दुलहन चली,सजना गाए गीत।
सजना गाए गीत,देख दुलहन भरमाती।
होंठों पे मुसकान, झुका नयना शरमाती।
कहती अनु यह देख,सखी की चूड़ी खनकी।
चलदी साजन साथ,छनक छन पायल छनकी।
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बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचनाएँ..
सादर...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा आज का अंक |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन.. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त और सारगर्भित भूमिका।
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार रवींद्र जी।
सादर।
सार्थक भूमिका के साथ सार्थक संकलन रविन्द्र जी | सत्याग्रहों के नाम पर दंगा और उसी में सरकारी सम्पति की शान से बर्बादी करना आज दिखावे के आंदोलनों का कडवा सच बनकर रह गया है | सार्वजनिक सम्पति की बर्बादी किसी समस्या का हल नहीं | देश में अराजकता की स्थिति चिंता पैदा करती है | आजके सभी रचनाकारों की बेहतरीन रचनाओं के लिए उन्हें शुभकामनायें | और आपको आभार इस प्रस्तुति के लिए |
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