स्नेहिल अभिवादन
आज हमक़दम का 100वाँ अंक है।
आप सभी के अमूल्य सहयोग से
आज का यह शुभ दिवस अपनी आभा बिखेर.रहा रहा है।
सभी माननीय पाठकोंं एवं प्रबुद्ध रचनाकारों को
पाँच लिंंक परिवार का आत्मीय आभार।
आशा है आगे भी आप का यह बेशकीमती साथ हमक़दम को मिलता रहेगा।
न्याय की अवधारणा मुख्य रूप से नैतिक प्रकृति की निष्पक्षता की अवधारणा का सार है। नैतिक मूल्यों का उपयोग किसी व्यक्ति के किसी भी कार्य का उचित आधार पर मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। जो भी स्वीकार्य नैतिक मूल्य सटीक माने जाते हैं, उन्हें उचित माना जाता है। इसके विपरीत, जो मानवीय मूल्यों के बराबर नहीं है, उसे अन्याय कहा जाता है।
न्याय' शब्द का अंग्रेजी अनुवाद है Justice' 'Justice' शब्द लैटिन भाषा के Jus' से बना है, जिसका अर्थ है-'बाँधना' या 'जोड़ना' । इस प्रकार न्याय का व्यवस्था से स्वाभाविक सम्बन्ध है । अत: हम कह सकते हैं कि न्याय उस व्यवस्था का नाम है जो व्यक्तियों,समुदायों तथा समूहों को एक सूत्र में बाँधती है। किसी व्यवस्था को बनाए रखना ही न्याय है,क्योंकि कोई भी व्यवस्था किन्हीं तत्त्वों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के बाद ही बनती अथवा पनपती है।
वह सद्गुण है जो अन्य सभी सद्गुणों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। न्याय समाज में संतुलन लाता है।
न्याय को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि
विभिन्न संदर्भ में न्याय की परिभाषा अपना रुप बदल
लेती है।
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एक कालजयी रचना से शुरुआत करते हैं-
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न्याय तुम्हारा कैसा
फिर नभ की ये चमकी-सी छोटी-छोटी लटकनियाँ
निशि की साड़ी की कनियाँ प्रभु की ये बिखरी मनियाँ।
अपने प्रकाश का प्यारा ये खोले हुए खजाना,
बह पड़े कहीं इनको तो जीवन भर है बिखराना
माखन लाल चतुर्वेदी
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अब आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
आदरणीय सुबोध सिन्हा जी की
दो रचनाएँ
भला कौन बतलायेगा
अरुणा शानबाग " .. बलात्कृत एक नाम
रही जो 42 सालों तक 'कोमा' में पड़ी
तब भी क़ानून से इच्छा-मृत्यु नहीं मिली
अपनों (?) से उपेक्षित वर्षों लाश बनी रही
ये न्याय है या अन्याय .. भला कौन बतलाए ...
मूर्ति न्याय की
आँखों पर बाँधे काली पट्टी
और कभी पकड़े तो .. कभी त्यागे तलवार ...
हाथ में तराजू लिए आ खड़ी हो गई
हमारे तथाकथित मंदिरों में न्याय की
बन कर न्याय की देवी .. तथाकथित मूर्ति न्याय की
★★★★★★
आदरणीया अनिता सुधीर जी
★★★★★★
आदरणीया सुजाता प्रिया जी
न्याय
स्वाचरण सुधार न पावे,
पराचरण पर मारे कोड़े रे।
अपना सिर तो सभी बचावे,
दूजे का सिर फोड़े रे।
न्याय तंत्र को बुरा बताबे,
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आदरणीय विश्वमोहन जी
गली मेें दंंगे हो सकते हैैं
★★★★★
चलते-चलते पढ़िये
आदरणीय सुशील सर उलूक के
पन्नों से
गिरफ़्तारी सज़ा जेल बीमे की जरूरत
यूँ ही मुफ्त में
उसके किये
करवाये का
न्याय और इन्साफ
गुनहगार
और गुनाह
ही बस
जरूरी नहीं
रह गया है अब
★★★★★
आज का हमक़दम आपको कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रिया
मनोबल बढ़ा जाती है।
हमक़दम का नया विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।
#श्वेता
यादगार अंक...
जवाब देंहटाएंवास्तविक न्याय ..
साधुवाद...
बधाई हो.... अच्छा अंक प्रस्तुत किया है आपने।
जवाब देंहटाएंहम तो श्वेता की ब्लृग पोस्टों का लिंक चर्चा मंच पर अनवरत लगाते ही हैं।
फिर हमसे पक्षपात कैसा?
भविष्य में हमारे सहयोगी भी चर्चा मंच पर यही करेंगे।
हा, हा.… न्याय के अंक में पक्षपात की बात!😊
हटाएंहदप्रद हूँ... चाहत का हद नहीं 🤔
हटाएंहम कदम के सौवें मील के पत्थर को स्थापित कर लेने के लिये बधाई। आभार श्वेता जी 'उलूक' चिंतन को भी स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएं🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐
जवाब देंहटाएंहमकदंम के सौंवें अंक के लिए पांच लिंक के सभी चर्चाकारों और पाठकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। ये महफ़िलें यूँ ही सजती रहे 🙏🙏
🌹🌹💐🌹🌹💐🌹🌹💐🌹🌹
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स|सभी शानदार रचनाएं |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद श्वेता जी
'न्याय' के साथ संभवतः न्यायोचित न्याय। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंहमकदम के शतकीय कदम में हम पिछड़ गए ! तीन दिन तक इन्टरनेट बंद रहने के कारण अपनी रचना नहीं भेज सके ! लेकिन आज की सभी रचनाएं अनुपम ! सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन जिन्होंने न्याय की अच्छी तरह से जाँच पड़ताल की ! हार्दिक शुभकामनाएं हलचल की टीम को इस सौंवे मील के पत्थर तक पहुँचाने के लिए ! यह सफ़र यूँ ही जारी रहे यही दुआ है दिल से !
जवाब देंहटाएंहमकदम की शतकीय पारी में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंवाह!!हमकदम के शतकीय अंक की हार्दिक शुभकामनाएं ..।बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति श्वेता ..। यह सिलसिला बस यूँ ही चलता रहे ,यही शुभकामना है ।
जवाब देंहटाएंबधाई "पांच लिंकों के आनन्द" के तहत "हमक़दम" के सौंवें अंक के लिए इस मंच के सभी सदस्यों और सभी रचनाकारों को बधाई ...
जवाब देंहटाएंश्वेता जी इस अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार आपका ...
श्वेता जी और यशोदा जी कृपया इसको साझा (share) करने का विकल्प (option) भी दीजिए ...
इस शतकीय संकलन में मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो हमकदम के 100 कदम पुरे करने की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ लाज़बाब प्रस्तुति ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
वाह !शानदार भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई 100वे आंक के शानदार संकलन की
सादर
बधाई व शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई छूटकी
जवाब देंहटाएंबेहद सराहनीय प्रस्तुतीकरण
हम-कदम के शतकीय अंक पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंहमकदम के सौ अंक सफलतापूर्वक, गरिमापूर्वक संपन्न हुए। हम सभी इस सफलता की राह पर साथ चले.... कभी मौन होकर तो कभी वाचाल होकर, कभी भागीदार बने तो कभी सिर्फ साक्षीदार....कभी किसी विषय ने अंतर्मन को इतना झकझोरा कि कविता प्रवाह सी फूट पड़ी, कभी किसी विषय पर ना लिख पाने का मलाल भी रहा....
जवाब देंहटाएंमैं इस सब से ज्यादा इस बात से खुश हूँ कि इस प्रयास के चलते हमें साथ चलने का मौका मिला है,सक्रिय रहने का मौका मिला है, हमकदम के सौ कदम यानि हमारे सौ कदम !!!
इस साथ के लिए बधाई!इस सफलता के लिए बधाई!!
इस मुकाम के लिए बधाई !!! हलचल की सारी टीम को हृदय से आभार और शुभकामनाएँ।
हमकदम के शतकीय संकलन पर समस्त टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं... लाजवाब प्रस्तुति उम्दा लिंक्स....।
जवाब देंहटाएंशतकीय अंक की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐 बहुत ही सुंदर रचनाएँ और प्रस्तुति 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंहम कदम के सौवें अंक के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण बेहतरीन प्रस्तुति। मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।
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