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सोमवार, 23 दिसंबर 2019

1620....हम-क़दम का सौवाँ अंक.... न्याय

सोमवारीय विशेषांक में आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
.................
आज हमक़दम का 100वाँ अंक है।
आप सभी के अमूल्य सहयोग से
आज का यह शुभ दिवस अपनी आभा बिखेर.रहा रहा है।
सभी माननीय पाठकोंं एवं प्रबुद्ध रचनाकारों को
पाँच लिंंक परिवार का आत्मीय आभार।
आशा है आगे भी आप का यह बेशकीमती साथ हमक़दम को मिलता रहेगा।


न्याय का अर्थ निर्णय करने का सर्वप्रथम प्रयास यूनानियों और रोमनों ने किया था।
न्याय की अवधारणा मुख्य रूप से नैतिक प्रकृति की निष्पक्षता की अवधारणा का सार है।  नैतिक मूल्यों का उपयोग किसी व्यक्ति के किसी भी कार्य का उचित आधार पर मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।  जो भी स्वीकार्य नैतिक मूल्य सटीक माने जाते हैं, उन्हें उचित माना जाता है।  इसके विपरीत, जो मानवीय मूल्यों के बराबर नहीं है, उसे अन्याय कहा जाता है।
न्याय' शब्द का अंग्रेजी अनुवाद है Justice' 'Justice' शब्द लैटिन भाषा के Jus' से बना है, जिसका अर्थ है-'बाँधना' या 'जोड़ना' । इस प्रकार न्याय का व्यवस्था से स्वाभाविक सम्बन्ध है । अत: हम कह सकते हैं कि न्याय उस व्यवस्था का नाम है जो व्यक्तियों,समुदायों तथा समूहों को एक सूत्र में बाँधती है। किसी व्यवस्था को बनाए रखना ही न्याय है,क्योंकि कोई भी व्यवस्था किन्हीं तत्त्वों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के बाद ही बनती अथवा पनपती है।

 वह सद्गुण है जो अन्य सभी सद्गुणों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। न्याय समाज में संतुलन लाता है।
न्याय को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि 
विभिन्न संदर्भ में न्याय की परिभाषा अपना रुप बदल 
लेती है।

★★★★★★
एक कालजयी रचना से शुरुआत करते हैं-

★★★★★

न्याय तुम्हारा कैसा
फिर नभ की ये चमकी-सी छोटी-छोटी लटकनियाँ
निशि की साड़ी की कनियाँ प्रभु की ये बिखरी मनियाँ।
अपने प्रकाश का प्यारा ये खोले हुए खजाना,
बह पड़े कहीं इनको तो जीवन भर है बिखराना
माखन लाल चतुर्वेदी


★★★★★


अब आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

आदरणीय सुबोध सिन्हा जी की 
दो रचनाएँ

भला कौन बतलायेगा

अरुणा शानबाग " .. बलात्कृत एक नाम
रही जो 42 सालों तक 'कोमा' में पड़ी
तब भी क़ानून से इच्छा-मृत्यु नहीं मिली
अपनों (?) से उपेक्षित वर्षों लाश बनी रही
ये न्याय है या अन्याय .. भला कौन बतलाए ...

मूर्ति न्याय की

आँखों पर बाँधे काली पट्टी
और कभी पकड़े तो .. कभी त्यागे तलवार ...
हाथ में तराजू लिए आ खड़ी हो गई
हमारे तथाकथित मंदिरों में न्याय की
बन कर न्याय की देवी .. तथाकथित मूर्ति न्याय की

★★★★★★

आदरणीय आशा सक्सेना
माँ मुझको न्याय चाहिए
क्या है कसूर मेरा ?
यही ना की मैं एक लड़की हूँ
चाह थी बेटे के आगमन  की  
पर मुझे पा उदासी ने घर घेरा
सभी बुझे बुझे से थे कोई उत्साह नहीं
गहरी साँसे ले रहे थे मेरे जन्म पर
पर माँ है क्या कसूर मेरा ?

★★★★★

आदरणीया अनिता  सुधीर जी
न्याय के मंदिर में
आंखों पर पट्टी बांधे
मैं न्याय की देवी .प्रतीक्षा रत  ...
कब मिलेगा न्याय सबको...
हाथ में तराजू और तलवार लिये
तारीखों पर  तारीख की
आवाजें सुनती रहती हूँ .

★★★★★★

आदरणीया कविता रावत जी
गीदड़ भाग जाते हैं पर बंदरों को डंडे पड़ते हैं
कानून से अधिक उल्लंघन करने वाले मिलते हैं।

चूहे के न्याय से बिल्ली का अत्याचार भला
अन्यायपूर्ण शान्ति से न्यायपूर्ण युद्ध भला

★★★★★★

आदरणीया कुसुम कोठारी जी
न्याय और अन्याय का कैसा लगा है युद्ध
एक जिसको न्याय कहे दूसरा उस से क्रुद्ध।
बिन सोचे समझे ,विवेक शून्य हो ड़ोले
आंखों पट्टी बांध कर हिंसा की चाबी खोले

★★★★★★


आदरणीया सुजाता प्रिया जी


न्याय

स्वाचरण सुधार न पावे,
पराचरण पर मारे कोड़े रे।
अपना सिर तो सभी बचावे,
दूजे का सिर फोड़े रे।
न्याय तंत्र को बुरा बताबे,


★★★★★

आदरणीय विश्वमोहन जी
गली मेें दंंगे हो सकते हैैं

समाज में कार्यपालिका को उसकी त्रुटियों का बोध कराना, उसके कुकृत्यों को अपनी कड़ी फटकार सुनाना, असंवैधानिक कारनामों को रद्द करना और प्रसिद्द समाज शास्त्री मौन्टेस्क्यु के 'शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत ' के आलोक में अपनी स्वतंत्र सत्ता को कायम रखना एक संविधान चालित लोकतंत्र में न्यायपालिका का पवित्र एकाधिकार है.भारत की न्यायपालिका का चरित्र इस मामले में कुछेक प्रसंगो को छोड़कर त्रुटिहीन, अनुकरणीय एवं अन्य देशों के लिए इर्ष्य है.यहीं कारण है कि भारत की जनता की उसमे अपार आस्था और अमिट विश्वास है और यहीं आस्था और विश्वास न्याय शास्त्र में वर्णित न्यायशास्त्री केल्सन का वह 'ग्रंड्नौर्म' है जिससे भारत की न्यायपालिका अपनी शक्ति ग्रहण करती है.

★★★★★


चलते-चलते पढ़िये
आदरणीय सुशील सर उलूक के
पन्नों से

गिरफ़्तारी सज़ा जेल बीमे की जरूरत


यूँ ही मुफ्त में
उसके किये
करवाये का
न्याय और इन्साफ

गुनहगार
और गुनाह
ही बस
जरूरी नहीं
रह गया है अब


★★★★★


आज का हमक़दम आपको कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रिया
मनोबल बढ़ा जाती है।

हमक़दम का नया विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।

#श्वेता

22 टिप्‍पणियां:

  1. यादगार अंक...
    वास्तविक न्याय ..
    साधुवाद...

    जवाब देंहटाएं
  2. बधाई हो.... अच्छा अंक प्रस्तुत किया है आपने।
    हम तो श्वेता की ब्लृग पोस्टों का लिंक चर्चा मंच पर अनवरत लगाते ही हैं।
    फिर हमसे पक्षपात कैसा?
    भविष्य में हमारे सहयोगी भी चर्चा मंच पर यही करेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. हम कदम के सौवें मील के पत्थर को स्थापित कर लेने के लिये बधाई। आभार श्वेता जी 'उलूक' चिंतन को भी स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐
    हमकदंम के सौंवें अंक के लिए पांच लिंक के सभी चर्चाकारों और पाठकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। ये महफ़िलें यूँ ही सजती रहे 🙏🙏
    🌹🌹💐🌹🌹💐🌹🌹💐🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स|सभी शानदार रचनाएं |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  6. 'न्याय' के साथ संभवतः न्यायोचित न्याय। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. हमकदम के शतकीय कदम में हम पिछड़ गए ! तीन दिन तक इन्टरनेट बंद रहने के कारण अपनी रचना नहीं भेज सके ! लेकिन आज की सभी रचनाएं अनुपम ! सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन जिन्होंने न्याय की अच्छी तरह से जाँच पड़ताल की ! हार्दिक शुभकामनाएं हलचल की टीम को इस सौंवे मील के पत्थर तक पहुँचाने के लिए ! यह सफ़र यूँ ही जारी रहे यही दुआ है दिल से !

    जवाब देंहटाएं
  8. हमकदम की शतकीय पारी में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह!!हमकदम के शतकीय अंक की हार्दिक शुभकामनाएं ..।बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति श्वेता ..। यह सिलसिला बस यूँ ही चलता रहे ,यही शुभकामना है ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बधाई "पांच लिंकों के आनन्द" के तहत "हमक़दम" के सौंवें अंक के लिए इस मंच के सभी सदस्यों और सभी रचनाकारों को बधाई ...
    श्वेता जी इस अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार आपका ...
    श्वेता जी और यशोदा जी कृपया इसको साझा (share) करने का विकल्प (option) भी दीजिए ...

    जवाब देंहटाएं
  11. इस शतकीय संकलन में मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. सबसे पहले तो हमकदम के 100 कदम पुरे करने की हार्दिक बधाई
    बेहतरीन भूमिका के साथ लाज़बाब प्रस्तुति ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह !शानदार भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति.
    हार्दिक बधाई 100वे आंक के शानदार संकलन की
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. हार्दिक बधाई छूटकी
    बेहद सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  15. हम-कदम के शतकीय अंक पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  16. हमकदम के सौ अंक सफलतापूर्वक, गरिमापूर्वक संपन्न हुए। हम सभी इस सफलता की राह पर साथ चले.... कभी मौन होकर तो कभी वाचाल होकर, कभी भागीदार बने तो कभी सिर्फ साक्षीदार....कभी किसी विषय ने अंतर्मन को इतना झकझोरा कि कविता प्रवाह सी फूट पड़ी, कभी किसी विषय पर ना लिख पाने का मलाल भी रहा....
    मैं इस सब से ज्यादा इस बात से खुश हूँ कि इस प्रयास के चलते हमें साथ चलने का मौका मिला है,सक्रिय रहने का मौका मिला है, हमकदम के सौ कदम यानि हमारे सौ कदम !!!
    इस साथ के लिए बधाई!इस सफलता के लिए बधाई!!
    इस मुकाम के लिए बधाई !!! हलचल की सारी टीम को हृदय से आभार और शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  17. हमकदम के शतकीय संकलन पर समस्त टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं... लाजवाब प्रस्तुति उम्दा लिंक्स....।

    जवाब देंहटाएं
  18. शतकीय अंक की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐 बहुत ही सुंदर रचनाएँ और प्रस्तुति 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  19. हम कदम के सौवें अंक के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण बेहतरीन प्रस्तुति। मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं

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