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मंगलवार, 3 सितंबर 2019

1509 ...सुनो ऐ ज़िंदगी, ज़रा इक पल भर को आराम तो दो

सादर अभिवादन...
श्री गणेश जी आला रे

प्रथम पूज्य़ श्री गणेश जी को नमन
सभी की मनोकामना पूर्ण करें

आज की प्रस्तुति का श्रीगणेश...
उन्हीं को याद करते हुए....


दिल में कीजिए पूजन गनेश जी - नज़ीर अकबराबादी

जो जो शरन में आया है कीन्हा उसे सनाथ। 
भव सिन्धु से उतारा है दम में पकड़ के हाथ। 
यह दिल में ठान अपने और छोड़ सबका साथ। 
तू भी ‘नज़ीर’ चरणों में अपना झुका के माथ। 
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी। 
देवेंगे रिद्धि सिद्धि और अन-धन गनेश जी॥

इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव ....कविता रावत

एक कार्यशाला जवाहर बाल भवन में मूर्तिकला प्रशिक्षक हर्षित तिवारी के मार्गदर्शन में मेरे शिवा ने भाग लिया, जहाँ उसने दूसरे बच्चों के साथ इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने की आसान विधि सीखकर अपने घर और कार्यशाला के लिए एक-एक सुंदर गणेश प्रतिमा बनायी, जो मुझे ही नहीं बल्कि उनके प्रशिक्षक को भी इसलिए बहुत अच्छे लगे, क्योंकि उसने मनमोहक गणेश प्रतिमा के साथ ही मूषकराज को उनकी गोद में बिठाकर नवाचार किया है।

आ अब लौट चलें.... वन्दना गुप्ता
इस दौड़ती भागती दुनिया में 
समय की धुरी पर ठहरा मन मेरा 
कहता है 
आ अब लौट चलें 
एक बार फिर उसी दौर में 
जहाँ पंछियों से रोज मुलाकात हो 
मेरे आँगन में रोज उनकी आमद हो 

"एक सवाल पुरखों से"  ....सुबोध सिन्हा

चलते-चलते मुझ बेवकूफ़ का
और एक सवाल पुरखों से कि
क्यों नहीं बनाए आपने एक भी
परम्परा पूरे वर्ष भर में ... जिसमें
पुरुष-पति भी अपनी नारी-पत्नी की
दीर्घायु और मंगलकामना की ख़ातिर
करता हो कोई तीज-त्योहार !??? ...

चार सौ बीसी ....अनुराधा चौहान

तन उजला और मन काला
नेक काम में भी घोटाला
चार सौ बीसी के यह धंधे
गरीब के गले के बने हैं फंदे
दुनिया इधर-उधर हो जाए
करतूतों से बाज नहीं आए
बातें करते बड़ी गोल-गोल
ढोल के अंदर छुपी है पोल

शब्दों में ढल जाना ....कुसुम कोठारी

मधुबन क्यों है रिक्त सुधा ,बोध पनघट सूना,
हवा में  संगीत नहीं, मां की लोरी अंतर्धान ,
भौंरे तितली सब गये ना जाने कौन दिसावर,
घटाएं बरसती नहीं, कोयल पपीहा मूक सभी ।

सोच रहे हैं कि विषय इस बार भी न दें
पर नहीँ एक उपवास ही काफी होता है
सत्यासिवाँ विषय
ज़िन्दगी
उदाहरण

सुनो ऐ ज़िंदगी 
ज़रा इक पल भर को 
आराम तो दो 
सांस तो लो
पृथ्वी सी हूँ
पृथ्वी नही हूँ मैं 
उसके पैरों तले तो 
आसमान है 
और मेरे पैरों तले 
मेरे पैरों तले ज़मीन है.. मेरे घर की !
रचनाकार हैं
कैलगरी,कनाडा की जोया


प्रेषण तिथिः 07 सितम्बर 2019
सायंकाल 3.00 बजे तक
ब्लॉग सम्पर्क फार्म के द्वारा
सादर
यशोदा


16 टिप्‍पणियां:

  1. पर्व को ध्यान में रख बेहतरीन प्रस्तुत के साथ ही जिन्दगी से बड़ा सवाल भी पूछा गया है।
    परंतु मैं बस इतना ही अनुभूति कर पाया हूँ कि जीवन को आराम देने का सीधा सा मतलब है। उसे मृत्युदंड देना .. ?
    जीवन तो बस चलते जाने का नाम है।
    वह गीत है न..
    इसका नाम है जीवनधारा , जिसका कोई नहीं किनारा..।
    अब देखें न यहाँ अभि सुबह सभी पति परमेश्वर अपनी व्रती पत्नी के लिये जलेबी खरीदने दुकानों पर खड़े हैंं और जिंदगी को आराम दे चुका यह शख्स मोबाइल में उलझा है।
    प्रणाम दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
    हम-कदम को फिर आरंभ करने के लिए
    आप सब प्रबुद्ध जनों का तहेदिल से आभार।
    हम-कदम यूं अनवरत चलता रहे,हम कदम
    का साथ यूं मिलता रहे।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात..
    सर्व प्रथम..
    मिच्छामि दुक्कडम...
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  4. ज़िन्दगी को आराम कब भाता है भला ... वो तो हृदयस्पन्दन की मानिंद अनवरत कार्यरत रहना जानती है ... आराम तो बस
    ... मौत ही को आता है ... सादर नमन !
    इस अंक में मेरी रचना को साझा कर मेरी रचना की सोच को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया !
    पुनः अपने "हमक़दम" का उपवास तोड़कर नई "ज़िंदगी" देने के लिए भी धन्यवाद आप सभी " पांच लिंकों का आनंद " समूह का ...

    जवाब देंहटाएं
  5. जखीरा को शामिल करने हेतु धन्यवाद |
    सुन्दर पंक्तियाँ
    "तन उजला और मन काला
    नेक काम में भी घोटाला"
    सुंदर अंक, सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंको का संकल्न ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  9. खूबसूरत प्रस्तुति !सभी लिंक एक से बढकर एक!

    जवाब देंहटाएं
  10. सादर धन्यवाद आदरणीय,मेरी कविता "ज़िन्दगी में ढली मैं"को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए !🙏

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही मजेदार कविता थी पढ़कर मजा आ गया सर एक बार मेरा भी ब्लॉग देखिये
    https://www.amjoys.in/

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी

    जवाब देंहटाएं

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