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बुधवार, 24 जुलाई 2019

1468..बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं..


।।उषा स्वस्ति।।


फूटा प्रभात‚ फूटा विहान!

बह चले रश्मि के प्राण‚ विहग के गान‚ मधुर निर्झर के स्वर
झर-झर‚ झर-झर धीरे-धीरे
लो‚ फैल चली आलोक रेख
धुल गया तिमिर‚ बह गयी निशा;
चहुँ ओर देख‚
धुल रही विभा‚विमलाभ कान्ति
सस्मित‚ विस्मित‚
खुल गये द्वार‚हँस रही उषा!!
भारत भूषण अग्रवाल
 ⚜️
 आशा की आहट का घोड़ा
सरपट दौड़ रहा

सुखमय जीवन-हार मिला

साँसों में महका स्पंदन
मधुमय यौवन भार खिला
नयनों में सागर सनेह का
सपने जोड़ रहा 
सरपट दौड़ रहा ...


खिली धूप मधुमास नया

खुले गगन में हल्की हल्की
वर्षा का आभास नया
मन अकुलाया हरी घास पर

⚜️



मैं आज जमाने की ठोकरों से इतना बदल गयी हूँ कि अपना बदला रूप देखने के लिये मुझे किसी ऐप की जरूरत नहीं पड़ती, मुझे खुद को ही समझ आता है कि मेरा खिलंदड़ा स्वभाव कहीं छिप गया है। खो गया है या नष्ट  हो गया है, यह तो नहीं लिख सकती, बस छिप गया है। मन का आनन्द कम होने लगा है..

⚜️




आदरणीय राजीव कुलश्रेष्ठ कुमार जी की रचना..अक्ल बड़ी या भैंस

अक्ल दिमाग में बसे छोटे से मांस के लोथड़े में है। और भैंस का आकार सब जानते हैं। भैंस की तुलना अक्ल से करना वाकई समझ से परे है।

यह शब्द भैंस नहीं बेंस (आयु की मौजूद अवस्था) है क्योंकि उम्र उस काल को कहेंगे जो जन्म से लेकर मृत्यु के समय तक की अवधि है। 


अपने कुछ ऐसे हैं
पूछो मत कैसे हैं
रस्ता मुहब्बत का
गुल, काँटों जैसे हैं
तुम से क्या मतलब, हम
ऐसे या वैसे हैं..



आषाढ़ बीत गया और श्रावण आ गया..और बातें बारिश की न हो ..ऐसा हो नहीं सकता, आनंद उठाइये आज की अंतिम कड़ी में ..ग़ज़लों में बारिश और बारिश में ग़ज़लें - डॉ. वर्षा सिंह

उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं

भीगने वालों को कल क्या-क्या परेशानी हुई
     - जमाल एहसानी
⚜️
हम-क़दम का नया विषय
⚜️
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति' . ..✍

16 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहह...
    एक और बेहतरीन अंक..
    भारत भूषण जी रचना से शानदार आगज..
    सादर.....

    जवाब देंहटाएं
  2. मौसम के साथ-साथ जीवन के हर पहलू को छूती हुई रचनाएं ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर पंक्तियाँ भूमिका और साथ में अति सुंदर रचनाओं का सराहनीय संयोजन पम्मी जी बहुत सुंदर अंक तैयार किया है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  4. सरस,मनभावन भुमिका के साथ बेमिसाल प्रस्तुति।
    शानदार लिंक संयोजन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार प्रस्तुति उम्दा पठनीय लिंक्स....

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय pammi जी, मनमोहक काव्यांश से सजी भूमिका और भावपूर्ण सूत्रों ने प्रस्तुति को बहुत खास बना दिया है। अक्ल बडी या भैंस बहुत रोचक रहा। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं। आपको सस्नेह आभार और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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