प्रकृति का असहज रुप,
अतिवृष्टि से बेहाल देश के पाँच राज्यों के
हम रटा रटाया वही प्राकृतिक आपदा को दोष देकर सारा ठीकरा नियति के सर फोड़ देते हैं।
बाढ़ से पीड़ित जन-जीवन की व्यथा समझने
का ढ़ोंंग करने के सिवा हम करते ही क्या है।
एक सामान्य बात की तरह बाढ़ की भयावहता को नज़रअदाज़ करने की आदत पड़ गयी है हमें। काश! कि उस विषम परिस्थितियों से जूझने को विवश लोगों की समस्या
जड़ से समाप्त करने की दिशा में कोई ठोस और सार्थक प्रयास कर पाते वर्ल्डकप जीतने के हार जीत वाले उत्साह जैसा कुछ।
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चलिए आज की रचनाएँँ पढ़ते हैं-
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वहम
आकाश के गोद से
नन्हे बच्चे-सा उचकता
मुलुर-मुलुर ताकता
एक सवाल मानो पूछता रहा
अनवरत .... कि ....
मेरे रौशन पक्ष केवल देखकर
एक वहम क्यों पाल लेते हो भला
एक्वारजिया
बुदबुदाते ग़म
और उसका प्रतिफल
जैसे सांद्र नाइट्रिक अम्ल और
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का ताजा मिश्रण
एक अनुपात तीन का समिश्रण
उफ़!धधकता बलबलाता हुआ
सब कुछ
कहीं स्वयं न पिघल जाएँ
दुःख दर्द को समेटते हुए
★★★★★★
मेघ है आकाश में कितने घने
बेटी सुख का सार
सत्यमेव जयते
कोई खींच रहा है, विरहा के डोर,
समझाऊँ कैसे, इस मन को,
दूर कहाँ ले जाऊँ, इस बैरन को,
जिद करता, है ये जाने की,
हर पल, तेरी ही ओर!
शाकाहार
★★★★★★
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प्रतीक्षा रहती है।
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
कल का अंक पढ़ना न भूलै
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अग्र आलेख
सारा कुछ समेट दिया...
सारी रचनाएँ बेहद अच्छी..
सादर..
मन से आभार आपका "पांच लिंकों का आनंद" के 1462वें अंक में मेरी साधारण सी रचना को स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंसारी उम्दा संकलन में बौनी सी मेरी 'वहम'...
एक्वारजिया के नए आयाम को नमन ....
बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌,मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार प्रिय श्वेता दी जी |
जवाब देंहटाएंसादर
शानदार संग्रहनीय संकलन छूटकी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र आज के इस शानदार संकलन में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति सभी सामग्री पठनीय और सुंदर अच्छे लिंको का चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंपानी की छोरी, जल की तोरी
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरे ब्लॉग लिंक को शेयर करने के लिए ........ :)
जवाब देंहटाएंलाजवाब ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही कमाल की हलचल आज ... आभार मेरी रचना को इस अंक में शामिल करने के लिए ...