सावन में अब ना रहा...पहले जैसा सार
ना झूला ना पाटली... कजरी ना मल्हार
बदरा बैरी हो रहे... देती बरखा पीर
बिन पिय के भाये नहीं...चुभती कुटिल बयार
©अंकिता कुलश्रेष्ठ (आगरा)
सावन में बदरा छेड़े मन के तार,
विरह में तड़पे बहुरि गंगा के पार,
बरखा में भींग छुपाये अपने अश्रु,
मन करत सजना से करे मिल के प्यार।
©प्रभास सिंह (पटना)
सबको यथायोग्य
प्रणामाशीष
चढ़ता वेग ऊँची पेंग ढ़लता पेग सब सावन में सपना
टिटिहारोर कजरीघोर छागलशोर अब सावन में सपना
व्हाट्सएप्प सन्देश वीडियो चैट छीने जुगल किलोल
वो झुंझलाहट कब हटेगा मेघ है जब सावन में सपना
मखमल सी कोमल हरियाली..”
मल्लब कि जिन घासों को बैल और गधे तक नहीं चरते
उनका भी सौंदर्य आज देखते बन रहा है. जिन पेड़ों के पत्ते
बसन्त की भी नहीं सुनते वो सावन में हरियरी के मारे नाच रहें हैं…
सावन
बरस बरस दिल जमके भीगा,
बूँदों पे है कैसी मस्ती छाई,
क्यों है ये जुदाई मुझपे आई,
यूँ ना बरसो मुझे मत तड़पाओ,
मेरे प्यार को ज़रा बुलाके लाओ,
सावन
आस्मां के बुलावे पर जब जब
श्वेत वस्त्र धारण कर उपर पहुची
दुनिया पूकार उठी बादल बादल
याद सताने लगी यार की बुंदों को
मशाल जला तब देखा बुंदों ने निचे
चोंच खोल पक्षी तलाश रहे बुंदों को
सावन
था भीगा-सा आँचल, थी गालों पर बूँदें,
मन में थी कोई हलचल, थी दिल में उम्मीद।
मेरे गर्म हाथों में, तेरा नर्म हाथ था,
तू थी पास इस कदर, जैसे जन्मों का साथ था।
दोनों भीग रहे थे, नज़दीकियाँ बढ रही थी,
एक टूटी अभिलाषा
सावन की रिमझिम है फीकी
इस इन्द्रधनुष के रंग भी
सपनों ने अब साथ है छोड़ा
नहीं आज कोई मेरे संग भी
नहीं देता कोई मुझे दिलासा !
><
अब विषय देखिए ये भी
कुछ अनोखा सा ही है
इक्यासिवां विषय
सिगरेट
उपराक्त चित्र फेसबुक वाल से
सौजन्यः तुषार राज रस्तोगी
प्रेषण तिथि- 27 जुलाई 2019 तीन बजे तक
प्रकाशन तिथि- 29 जुलाई 2019
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शुभ प्रभात दीदी..
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
बेहतरीन प्रस्तुति..
सादर...
सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं भाई
हटाएंवाह! सावन की सुहानी फुहारों का सरगम।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रिमझिम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसावन पर बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह !बेहतरीन प्रस्तुति दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन लिंक संकलन शानदार प्रस्तुतिकरण....।
जवाब देंहटाएंअच्छा भला पंच-मेल पुलाव का स्वाद आ रहा था, अंतिम कौर में मुंह में कंकड़ आ गया !
जवाब देंहटाएंइन जैसों की बात ना हीं हो तो अच्छा है, मुफ्त में प्रसिद्धि मिल जाती है जो इनका ध्येय भी होता है !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनायें.............
जवाब देंहटाएंhttps://www.hindipyala.com
कहाँ से खोजकर लाती हैं विभा दी आप ? आपकी प्रस्तुति मुझे बहुत पसंद है। सादर।
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