सादर अभिवादन
ये खत चेन्नई से
यहाँ पानी की कमी है..
एक किलो इडली के घोल पर
एक बाल्टी पानी फ्री दे रहे हैं...
हमारी टिकिट बुधवार की है
गुरुवार को फिर हम दिखेंगे...
कल की प्रस्तुति बेहतरीन थी..पसंद आई
रचनाओं की ओर चलें....
अलमारी के एक कोने में
लगती है ज़रा सी सीलन
लिए हुए नमी
उस भीगे हुए सीने की,
टूटा था बाँध
अश्कों का
उस आगोश में समा कर ......
नदी के पाट सी
हो गई अभिव्यक्ति
अनुभूतियों के लिए
चिंतन के तार ...
उलझे-बिखरे से
दूर-दूर नजर आते हैं
सच ही तो कहा है किसी ने...
'सोच गहरी हो तो फैसले
कमजोर पड़ जाते हैं'
धूप उतर रही थी भीतर
बाहर उमस भरी छाँव थी
सब अपनी तरह से
अपनी-अपनी दिशा में
गतिमान थे
और तुम सिद्धार्थ
किस सत्य की खोज में तुम
अपने सारे दायित्व
औरों के सर मढ़ कर
वैराग्य लेने का सोच सके ?
क्या वृद्ध माता पिता
स्त्री पुत्र किसी के प्रति
तुम्हारा कोई कर्तव्य न था ?
तुमने तो जाने से पूर्व
यशोधरा को जगाना भी
आवश्यक न समझा !
बहुत गुरुर था मुझे खुद पर, अपनी चीजों पर, अपने हर टैलेंट पर, अब लगता है मैं इन सब के लायक नहीं था काश उसे मिला होता जिसे इसकी कद्र हो ज़रा भी... दुनिया का समीकरण भी अजीब है जिसे जिस की कद्र हो उसे वही नहीं मिलता...या ये कहूं जिसको जो मिलता है उसकी कद्र नहीं करता, मैं भी कहाँ अलग हूँ इस दुनिया से... मैंने भी कद्र नहीं की किसी चीज की,
(इस प्रस्तुति में कमेंट करने की जगह नहीं है)
दुर्गम ये तेरे पथ, निर्बाध है पल,
रोड़े-काँटे, दुख जो किस्मत नें बांटे,
आएंगे-जाएंगे, इस पथ में,
राहें होगी टेढ़ी, आहें भी संग होगी तेरी,
ले बह जाएगा ये पल!
दो दिन पहले
महसूस हुआ था
शुभकामनाएं ले लो
किसी से कहा था
जवाब मिला था
मेरा तो आज
नहीं होता है
मना किया
गया है मुझे
आज कुछ भी
किसी से
लेना नहीं है
...
एक बार फिर चलते-चलते
अठहत्तरवें विषय की बात
विषय
किताब
उदाहरण
किताबें करती हैं बातें
बीते ज़मानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की, कल की
एक-एक पल की
ख़ुशियों की, ग़मों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की
क्या तुम नहीं सुनोगे
इन किताबों की बातें?
अंतिम तिथि- 06 जुलाई 2019
प्रकाशन तिथि- 08 जुलाई 2019
प्रविष्टियाँ सम्पर्क फार्म द्वारा ही स्वीकार्य
सही और सटीक विषय..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
समंदर के किनारे भी प्यासा चेन्नई
शुभ प्रभात...
सादर..
सुप्रभात..
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सुन्दर संकलन ..
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतीकरण
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंप्रमाण दी जी
सादर
वाह!!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों का संकलन आज के अंक में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय यशोदा जी ! सप्रेम अभिवादन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआधी बाल्टी ही कहिये, आधी जो साम्भर में लग जायेगी! जो भी हो,पूरी प्यास को तो रचनाओं की इस बेशकीमती बाल्टी ने बुझा दी. शुभकामनायें और आभार!!!
जवाब देंहटाएंकोई और देखने की चीज नहीं मिली अच्छी सी ये 'उलूक' भी भला कौन सा देखने की चीज बना दी? फिर भी आभार दिल से :) सुन्दर संकलन बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन एवम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा अंक। देर से पढ़ा गया। अच्छी रचनाएँ पढ़कर लगा - देर आए, दुरुस्त आए।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!