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शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंनाम,नाम और नाम..
चिंता तो होगी ही..
और वर्षा ऋतु में पानी लाजिमी है..
पानी आएगा तो कीचड़ और बीमारी भी संग लाएगा..
अगस्त आने को है..तो कुछ बोए जाएँगे और कुछ उखाड़ भी जाएँगे.. पता नहीं किस प्रवाह में लिखा
पर सोच कर लिखा...भारत वर्डकप से बाहर हो गया..फेसबुक पर टीका-टिप्पणी का दौर भी शुरू हो गया होगा... लोगों के पास समय बहुत है..बेवजह उखाड़ते-गाड़ते रहते हैं.. ठीक मेरी तरह..
सादर...
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर गुरुवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी 'उलूक' को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्रों के साथ सुन्दर संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ बयान कर गयी, आज की 'हलचल'!
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,खूबसूरत प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का अभिनव संकल्न ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक्स...
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