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मंगलवार, 26 मार्च 2019

1348...हर कोई किसी गिरोह में है, फिर कैसे कहें, आजादी के बाद सोच भी आज आजाद हो गयी है

अब तो हो ली होली..
चैत्र मास का प्रथम पक्ष
लगे रहते हैं लोग प्रतीक्षा में
माता रानी की...
अजीब सी स्थिति..
निर्मित हो रही है...
राम नवमी भी बस आ ही गया
चुनावी दंगल भी चालू है..
कुछ वसूली करें..
अर्पण भी करें...और..
और रचनाएं पढ़ें......

पौधे---अपनों से

कुछ पौधे जो मन को थे भाये
घर लाकर मैंंने गमले सजाये
मन की तन्हाई को दूर कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......

हवा जब चली तो ये सरसराये 
मीठी सी सरगम ज्यों गुनगनाये
सुवासित सुसज्जित सदन कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......

उदास शाम
एक गरम दिन का 
बचाखुचा ताप 
भिगोती है अपने 
अनदेखे आँसुओं से

वो आरज़ी है 
मरना होगा उसे 
कल कोई नयी शाम 
बिछी होगी इसी पहलू में 
जानती है

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए .....
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तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

हरसिंगार की लालिमा ...

दौड़ती-भागती,
पिटारों से निकालकर
अलगनी पर डालती
कुछ गीली,सूखी यादों को,
श्वेत-श्याम रंग की सीली खुशबू
को नथुनों में भरकर
 कतरती,गूँथती,पीसती,
अपने स्वप्नों के सुनहरे रंग,
पतझड़ को बुहारकर
देहरी के बाहर रख देती

कलम बीमार है.......

उसे इंतजार है तो बस
उन गुम सम्वेदनाओं की.
उनके मसीहाओं की.
जो इंसान को खोजते हुए
धरती से दूर निकल गए हैं.

सोच भी आज आजाद हो गयी है

क्या 
लिखता है 
क्या सोच है 
‘उलूक’ तेरी 

समझनी भी 
किसे हैं 

बातें सारी 
अनर्थ हो गयी हैं

लूट में 
हिस्सेदारी
 लेने वाली 

इसके बाद विषय के अलावा कुछ भी नहीं बचा
चौसठवें अंक का
विषय

अश्रु, अश्क आँसू

प्रेम में कोई अश्रु गिरा आँख से,
और हथेली में उसको सहेजा गया।
उसको तोला गया मोतियों से मगर
मोल उसका अभी तक कहाँ हो सका ?
ना तो तुम दे सके, ना ही मैं ले सकी
प्रेम दुनिया की वस्तु, कहाँ बन सका ?
दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
वो किसी छंद में कोई कब लिख सका ?
रचनाकार मीनाकुमारी शर्मा
अन्तिम तिथिः 30 मार्च 2019
प्रकाशन तिथि ः 01 अप्रैल 2019
रचनाएँ सम्पर्क प्रारूप के ही माध्यम से ही भेजें
सादर
यशोदा


















10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन रचनाओं का संगम..
    दो नयन अपनी भाषा में जो कह गए
    वो किसी छंद में कोई कब लिख सका
    आभार..सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    सराहनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सी प्रस्तावना के साथ बहुत खूबसूरत लिंक्स संयोजन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर संकलन आज का ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए आज ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया संकलन ,सादर नमन सबको

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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