रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है
और जारी रहने की संम्भावना है
सम्भवतः चुनाव पर्यन्त जारी रहेगा
चुनाव मे ये युद्ध घमासान होने की सम्भावना है
हिलने की सम्भावना दृष्टिगोचर नहीं हो रही है
बहरहाल कल अन्तरराष्ट्रीय महिलादिवस भी निपट ही गया
समाचार बस यहीं तक.....
चर्चा-परिचर्चाओं को दौर जारी है..
मीडिया का गला बैठ गया है
लेखकों द्वारा महिलादिवस पर लेखन जारी है....
स्त्री एक वैचारिकी मंथन
गोरी,साँवली,गेहुँआ,काली
मोटी,छोटी,दुबली,लम्बी,
सुंदर,मोहक,शर्मीली,गठीली
लुभावनी,मनभावनी,गर्वीली
कर्कशा,कड़वी,कंटीली
विविध संरचनाओं से निर्मित
आकर्षक ,अनाकर्षक
देह के खोल में बंद
अग्नि-सी तपती
मै दुर्गा बनकर आऊँगी ......
तुम्हारे सभी फैसलों पर
मै मोहर लगाती जा रही हूं ,
नारी हूँ ,इसलिए सभी
नारी धर्म निभा रही हूं ,
ये अलग बात है
सोचती हूँ मै
ईसा की तरह ,
उदाहरण यूँ ही तो नहीं स्त्रियाँ
स्त्री दुआओं का धागा है, मन्नतों की सीढ़ियाँ है, ...
मान्यताओं पर जाएँ तो दुर्गा,लक्ष्मी, पार्वती है
निःसंदेह, ताड़का,मंथरा, होलिका,शूर्पणखा भी है
ठीक उसी तरह जिस तरह, ब्रह्मा,विष्णु,महेश हैं
तो कंस, रावण, दुःशासन, हिरण्यकश्यप भी है .
लो फिर आ गया महिला दिवस ....
फिर चला आया महिला दिवस
फिर कुछ भाषण, कुछ संगोष्ठियां
कुछ प्रतियोगितायें, कुछ आयोजन
और फिर अन्त में, कुछ चिन्तन
जहाँ जताया जायगा खेद
महिलाओं की स्थिति पर
बताये जायेगें आँकडे
भ्रूण हत्या और बलात्कार के
कुछ गिरगिट बदल कर अपना रंग
लेंगे शपथ परिवर्तन की
कुछ मगरमच्छ बहायेगें आंसू
महिलाओं की दुर्दशा पर
बदल गया जमाना स्त्रियाँ माँगती क्यों हैं...!
जिंदगी चुनती है आज वो अपनी मर्जी से... जीती है अपने शर्तों पर.. नहीं चाहिए किसी और की मेहरबानी... सेव से बात हुई.. सेव समान आधा समझ गई.. पूरक है... समानता का अधिकार धोखा है.. जिसने भी विमर्श शुरू किया उसने भी कमतर आंका...
"लॉलीपॉप है महिला दिवस की बातें"
इंसान बनके जिन्हें जीना नहीं आ गया..
जन्मदात्री बन !! ....
इनका बंधे रहना
गठानों का ना खुलना सबूत है
बड़ी ताकतवर है ये आस्था
सम्बल,भरोसा,विश्वास और धैर्य
पिता, भाई, पति और बेटे के रूप में
जन्म से लेकर मृत्यु तक
श्वास की आस बने
मैं इन दायरों के मध्य रहकर
जन्मदात्री बन इनकी
ज़रा हट के....
‘उलूक’
अपने
आस पास के
जूते जुराबों को
छुपा देना है
बस
चाँद के
पाँव धो लेने है
और
सोच सोच कर
बेखुदी में
कुछ पी लेना है
आज बस करती हूँ
मन भर गया महिला-दिवस से
सादर...
यशोदा
हार्दिक आभार संग सस्नेहाशीष व शुभकामनाएं छोटी बहना🌹💖
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम् दी,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचनाएँ हैं सारी...प्रभावशाली भूमिका के साथ। मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका।
सुन्दर हलचल। आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्धक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंव्वाहहह..
जवाब देंहटाएंबढ़िया....
सादर...
वाह बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका
महिला दिवस पर उन्दा प्रस्तुति ,हर तरह के रंग और भाव देखने को मिले ,सादर नमन यशोदा दी
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंको का संकलन शानदार प्रस्तुति करण...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर