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बुधवार, 13 मार्च 2019
1335..अपनो को देने खुशी अपनो संग चली हूं..
14 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएं"मैंने देखा
एक बूँद सहसा
उछली सागर के झाग से
रँगी गई क्षण भर
ढलते सूरज की आग से।
उम्दा रचनाएँ..
सादर..
सुंदर भूमिका, सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंलाजबाब प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल का संकलन 👌
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया
सादर
बहुत खूबसूरत संकलन , सभी रचनाएँ एक से बढकर एक....।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर पम्मी जी भावभीनी भुमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाकारों के बीच स्वयं को देख आनंद हुआ ।
सस्नेह आभार आपका।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन। जबरदस्त भूमिका। उत्कृष्ट रचनाकारों के साथ मुझे भी स्थान मिला। बहुत अच्छा लगा। सभी रचनाकारों को बधाई। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति ,सादर नमस्कार पम्मी जे
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन से सजी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकविवर अज्ञेय जी की सारगर्भित एवं भावपूर्ण काव्य पंक्तियों से प्रस्तुति का आग़ाज़।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअनीता जी का चिट्ठा गूँगी गुड़िया नहीं मिल रहा है।
Blog has been removed
Sorry, the blog at poetryanita.blogspot.com has been removed. This address is not available for new blogs.
अब ठीक है भैय्या जी..
हटाएंसादर नमन
बेहतरीन प्रस्तुति
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