वसंत
श्रृंगार का अद्भुत राग है।
प्रसिद्ध रचनाकारों की लेखनी से उदृत बंध
मेरी पसंद के आप भी आनंद लीजिए-
बगिय़ा पहने चांदी-सोना,
कलियां फेंके जादू-टोना,
महक उठे सब पात,
हवन की बात न करना!
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना!
गोपालदास "नीरज"
किसिम-किसिम की गंधों-स्वादों वाली ये मंजरियां
तरुण आम की डाल-डाल टहनी-टहनी पर
झूम रही हैं...
चूम रही हैं--
कुसुमाकर को! ऋतुओं के राजाधिराज को !!
इनकी इठलाहट अर्पित है छुई-मुई की लोच-लाज को !!
तरुण आम की ये मंजरियाँ...
उद्धित जग की ये किन्नरियाँ
नागार्जुन
★★★★★


वन्दना के स्वर शिथिल हो मौन हैं

लेकिन सच पूछो तो

कुसुम कलिका कल्प की
रंग ना भावे सुर्ख चटकीले
खंजन नयन बदरी से सीले
चाँद लुटाये चांदनी रुखी
कैसो री अब वसंत सखी।
आदरणीया अभिलाषा चौहान

कितने मौसम आएं-जाएं,
चाहे बेमौसम हों बरसातें,

आते ही धरा में रंगीनियां जो बिखेर देते हो.....
बिसरकर बीती सारी आपदाएं..........
खिलती -मुस्कराती है प्रकृति, मन बदल देते हो,
सुनो न ! अब की कुछ तो नया कर दो.........
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो।
आदरणीया अनुराधा जी
ऋतुराज बसंत
हवाओं में
झूमतीं फसलें
महकती अमराई
सूरज की किरणों से
धरती इठलाई
पीले लहराते
सरसों के खेत
जैसे पीली चूनर
ओढ़कर गोरी
★★★★★
और चलते-चलते
आपको आज का यह विशेषांक कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया सदैव मनोबल में वृद्धि करती है। आपके विचार प्रतिक्रिया के माध्यम से अवश्य प्रेषित करे।
अगला विषय जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले।
आज के लिए इतना ही
आज्ञा दें
#श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंसखि वसन्त आया ।
भरा हर्ष वन के मन,
नवोत्कर्ष छाया ।
किसलय-वसना नव-वय-लतिका
मिली मधुर प्रिय-उर तरु-पतिका,
मधुप-वृन्द बन्दी--
पिक-स्वर नभ सरसाया ।
निराला जी की उत्तम कृति
बेहतरीन प्रस्तुति...
आभार..
सादर....
वाहः वाहः
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर संग्रहनीय संकलन
बहुत सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंवाह ! वासन्ती मौसम को कितनी सहजता से आपने चारों और बिखेर दिया है..अब वसंत के सिवा कुछ नजर ही नहीं आता..एक खिड़की से कच्ची अमिया की खुशबू आ रही है, दूसरी से निम्बू के फूलों की मदमाती गंध..पहले भी आती थी पर अब बात कुछ और है...बधाई इस सुंदर संकलन के लिए..
जवाब देंहटाएंपपीहे की प्यासी पुकार में,
जवाब देंहटाएंचिर संचित अनुराग अनंत है/
सृष्टि का यह चेतन क्षण है,
अलि! झूमो आया वसंत है!!!!!!!!!!
बहुत खूब प्रिय श्वेता - बसंत की विदा की बेला मे हमकदम का बासंती उत्सव बहुत मनभावन है सभी रचनाकारों को सुप्रभात और अभिवादन साथ में हार्दिक शुभकामनायें | सभी को नमन जिन्होंने शब्दों में सजीव बसंत खिलाया है | सब के जीवन में बसंत अमर हो , अटल हो यही कामना है | बसंत पर नयी रचना अधूरी रही जिसका अफ़सोस था लेकिन मंच ने मुझे भुलाया नहीं मेरी पुरानी रचना जोड़कर मुझे अनुगृहित किया जिसके लिए आभारी हूँ |तुम्हे विशेष आभार और मेरा प्यार | कुछ पंक्तियाँ बसंत के नाम मेरी भी --------
खिलो बसंत -- झूमे दिग्दिगंत --
सृष्टि - प्रांगण में उतरे
सुख के सुहाने सूरज अनंत |
झूमो रे !गली-गली ,उपवन उपवन ;
लुटाओ नव सौरभ का अतुलित धन
फैलाओ करुणा- प्रेम उजास .
ना हो आम कोई ना हो खास ;
आह्लादित हो ये मन आक्रांत !
खिलो बसंत-- झूमे दिग्दिगंत !!!!!!!
पुनः हार्दिक स्नेह के साथ |
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंवसंत की मदमाती, खिलखिलाती, महकती ऋतु में इतनी सुन्दर रचनाओं ने मन सुमन को और कुसुमित कर दिया ! सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन एवं मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! मेरी दोनों रचनाओं को आज के संकलन में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता, फूलों की मीठी खुशबू सा सुगंधित मनभावन अंक !!👌सभी रचनाएँ लाजवाब!
जवाब देंहटाएंअप्रतिम सुंदर अभिराम प्रस्तुति श्वेता आपकी,जैसे मन पर ही बसंत आ बैठा इठलाके।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं मधुरस छलकाती।
सभी रचनाकारों को शानदार सृजन के लिए बधाई।
मेरी दो रचनाओं को हमकदम के बसंती केनवास पर अकिंत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
सभी के जीवन में सदा बसंत मुस्कुराता रहे।
सस्नेह।
पांच लिंकों पर देखो कैसा मदमाता बसंत छाया
जैसे आम्र मंजरियों पर उद्धाम यौवन लहराया
करो कुसुमाकर ऋतु का अब विदाई सोपान आयोजन
जाओ बसंत¡आना लेकर फिर दीप्त दिशाओं के वातायन।
बहुत-बहुत सुंदर संकलन। बंसत छा गया है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब प्रस्तुति वसंत की विभिन्न रंगीनियों
जवाब देंहटाएंसे महकती सभी रचनाएं बहुत ही सुन्दर और संग्रहणीय.... मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार श्वेता जी !
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
हमकदम का यह अंक बहुत शानदार |