सादर अभिवादन...
क्या होगा
कुछ भी कहने में असमर्थ हैं हम
मीडिया का कितना विश्वास करें
और क्यों करें...
सरकारी बुलेटिन खामोश है...
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कल मिलिए विभा दीदी से
यशोदा
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
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भँवरों की पाँतें उतर-उतर
जवाब देंहटाएंकानों में झुककर गुनगुनकर
हैं पूछ रहीं-‘क्या बात सखी ?
उन्मन पलकों की कोरों में क्यों दबी ढँकी बरसात सखी ?
मानव जीवन वैसे ही दर्द से भरा है। उसमें भी यह हिंसा और प्रतिकार का उन्माद,घृणा का भाव एवं राजनीति ..?
इस उदास मन को किस दुनिया में लेकर चले हम ??
प्रणाम,सुंदर प्रस्तुति।
मानव जीवन की विडंबना है.
हटाएंयह विश्व हमें ही गढ़ना है.
सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंप्रभावपूर्ण भूमिका और बेहतरीन प्रस्तुति यशोदा जी!!
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआज की हलचल में नदी की शांत लहरों का सुकून है.
जवाब देंहटाएंसुबह-सुबह पढ़ कर बहुत अच्छा लगा यशोदा जी. हार्दिक आभार.
नदी की गहराई आज की सभी रचनाओं में.
नौका में सवार हो सभी कहीं दूर निकल गए ..
उम्दा प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हलचल प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाओं में मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीया यशोदा बहन 🙏🙏
सादर
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएँ
भारती जी की रचना संकलित करने के लिए आभार.... सादर
लाजवाब प्रस्तुति करण उम्दा पठनीय लिंक संकलन।
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