सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
जिस तरह रचनाकारों के पसंद के राजनीतिक दल हो रहे हैं
अगर फौजियों सैनिकों के पसंद नापसंद होने लगे तो क्या होंगे
मन में आशंकाओं के उठते हुये बवंडर,
. दिल मायूसी में डूबा, जैसे कोई खंडहर
किसी भी अनहोनी को कर अस्वीकार,
दिमाग जा पहुँचा संभावनाओं के द्वार।
(कॉपी-पेस्ट)
शहीद
शहीद
शहीद
शहीद
शहीद
फिर मिलेंगे...
><
तिरसठवें अंक का विषय
वसन्त
प्रकाशन तिथिः 25 मार्च 2019
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वाहह्हह... शहीदों का सादर नमन।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट संकलन दी..हमेशा की तरह ताज़ातरीन रचनाओं का शानदार संयोजन।
शुभ प्रभात दीदी..
जवाब देंहटाएंसदा की तरह विषेशीकृत प्रस्तुति..
सादर नमन..
सादर नमन..
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति..
सादर नमन दीदी..
शहीदों को नमन। सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंशहीदों को शत शत वन्दन । बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमातृभूमि के इन अनमोल रत्नों को सादर नमन जो असमय फाँसी के फंदे पर झूल गए और विश्व इतिहास के पटल पर अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अनंत काल के लिए अमिट कर गए ! सुन्दर रचनाओं का अनुपम संकलन !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन ,शहीदों को सादर नमन
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