स्नेहिल अभिवादन
सामाजिक व्यवस्था में साधन विहीन वह वर्ग जो
जीवन जीने के लिए मूलभूत साधरण
जरूरतों को भी पूरा कर पाने में आर्थिक रुप से
अक्षम है उसे गरीब कहा जाता है।
अभाव का दंश झेलते,छोटी से छोटी जरुरत को
पूरा के लिए संघर्षरत गरीब समाज और देश के
लिए शर्मनाक समस्या है। देश और समाज का
विकास तब तक संभव नहीं जब तक
अभावग्रस्त जीवन की सारी समस्याओं
निराकरण नहीं हो जाता है।
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चलिए विलंब न करते हुये हम पढ़ते है हमक़दम के विषय "गरीबी" पर लिखे गये हमारे
प्रतिभासंपन्न रचनाकारों की
अमूल्य वैचारिक
कृतियों को।
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आदरणीया अनुराधा चौहान
गरीब की ज़िंदगी
नींद आँखो से कोसो दूर
ग़रीबी को कोसते होकर मजबूर
होंठों पर मीठे लोरी के सुर
बच्चों को बहलाते फुसलाते
हिसाब की गठरी को
खोलते बांधते कटती रातें
कभी मजदूरी तो कभी मजबूरी में
कट ही जाती गरीब की ज़िंदगी
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सुबह से शाम तक हाथ
काम करते नहीं थकते
पर गरीबी ने मुंह फाड़ा
कम न हुई बढ़ती गई
कहावत सही निकली
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया
खुरदुरी मोटी खाल !
ज्येष्ठ अषाढ़ की
चिलचिलाती धूप हो
या अगहन पूस की
ठिठुरन भरी सर्दी ,
मिलते हैं ये ग़रीब बच्चे
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गरीब मगर खुद्दार हैं हम
ओ मेरे मौला
माथे पे गहराती
चिंता की रेख
सोने की कलम से
लिख नया सुलेख !
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आदरणीया अभिलाषा जी
गरीब कौन?
और इच्छाओं के बीच,
सर उठा कर रूआब से
रहती खड़ी गरीबी।
दिखाती अंगूठा...,
सारी व्यवस्थाओं को।
सुरसा के मुख सी बढ़ती,
गरीबी लीलती जिंदगियां।
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हवा ही ऐसी चली की बदनाम हो गई
अमीरी बनी सरताज़, गरीबी नीलामो हो गई |
नशा ही ऐसा था कि शोहरत धड़कन बन गई
अभाव की चुभती रही सुई ,ग़रीबी पैरों तले रुंधति चली गई |
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आदरणीय शशि.गुप्ता जी
गरीबी संग उपहास लिये
बेगानों सा हम ,भटकते रहें
गरीबी संग उपहास लिये !
कभी माँ के दुलारे हम भी थें
अब ग़ैरोंसे,रहमकी आस लिये।
तुम्हारे हाथ की लाली तो देखो
हमारा ख़ून कितना रच रहा है
ग़रीबी छूत का है रोग शायद
मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है
चलो चल कर परिंदों की ख़बर लें
हवा में शोर कब से मच रहा है
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भठ्ठा के मजदूरों को देखकर
वह बोली -
गरीबी बहुत बुरी चीज हैं.
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आपकी भावपूर्ण रचनाओं से
सुसज्जित आज का यह अंक
कैसा लगा?
आप सभी की बहुमूल्य
प्रतिक्रिया
सदैव प्रेरित करती है।
हमारे सुधि पाठकों
आपके सहयोग से
हमक़दम का सफ़र अनवरत
अग्रसर है।
अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक
पढ़ना न भूलें।
श्वेता सिन्हा
व्वाहह्
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिक्खा आप सबने..
साधुवाद
सादर
सस्नेहाशीष व शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने धन्यवाद श्वेता जी |
मुझे एक ही विषय पर भिन्न भिन्न रचनाएं पढ़ने में बहुत आनंद आता है |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन अंक
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आभार..... सादर
वाह!!श्वेता ,शानदार प्रस्तुति । सभी रचनाएँ लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार संकलन श्वेता जी ! सभी रचनाएं बेहतरीन ! मेरी दोनों रचनाओं को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई !
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन ।
जवाब देंहटाएंसच में बढ़िया चली है कलम
जवाब देंहटाएंगरीबी एक बेहतरीन विषय था
आशानुकूल ही रचना आई है
शुभकामनाएँ सभी को
प्रस्तुति मुकम्मल करने हेतु
साधुवाद सखी को
सादर....
शानदार संकलन..सभी रचनाएँ बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ एवम् बधाई सभी को।
एक से बढ़कर एक रचनाये ,सभी रचनाकारों को दिल से बधाई ,उन्दा प्रस्तुति स्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हमक़दम का संकलन आदरणीया श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचनाएँ
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आप का
सादर
गरीबी पर बहुत ही सुन्दर उम्दा रचनाएं...सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी श्वेता🙏🌷
बहुत सही वार
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