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शुक्रवार, 22 मार्च 2019

1344..बुरा ना मानो होली है कहता नहीं है

स्नेहिल अभिवादन
अभी होलियाना ख़ुमार उतरा कहाँ है
हथेलियों में रची हुई मेंहदी अबीरी 
रंग-भंग,मन-मलंग तन थकन में चूर
पलाशी शाम आँखों से बिखरा कहाँ है

अभी होली मिलन के कार्यक्रम महीनेभर चलने वाले हैंं और इसी बहाने चुनावी कार्यक्रम में नये जोड़-तोड़ होंगे नये समीकरण बनेगे चलिये नये तमाशों का इंतजार करते हुये  मौसम के बदलाव का एहसास करते हुये आज की रचनाओं का आनंद लेते हैं। 

★★★★★

आदरणीया दीपा जी



न भाये रंग 
अबीर का
न सोहे गुलाल
नेह के रंग से पिया 
रंग दो 
चुनरिया लाल
★★★★★
आदरणीय दिलबाग सिंह विर्क जी

आसार हैं क़यामत बरपने के, देखो
क्या रंग लाएगा, उनका ज़ुल्फ़ संवारना। 

चेहरे के हाव-भाव देख चुप रह गया मैं 
चाहा था दिलो-जां से तुझको पुकारना। 

कभी आसां तो कभी बड़ा मुश्किल लगे 
किसी को आँखों से दिल में उतारना। 

आदरणीय डॉ.जफ़र...

किस नकाब में कौन सा चेहरा पोशीदा हैं,

बातो से लोगो का वज़न तोल लेता हूं ,

हैरान होता हूँ जब अपनी खुदगर्ज़ी से,

कितना एहसास बचा हैं दिल में टटोल लेता हूँ,
★★★★★★
आदरणीय नुपूर जी

यहाँ घोंसला बनाओ ।

दिन भर दाना चुगो ।
प्यास लगे तो पानी पियो ।
ये सब यहाँ मिलेगा ।
और प्यार मिलेगा ।
ज़्यादा कुछ नहीं,

देने को
हमारे पास भी ।
तुम्हें भी तो
चाहिए बस इतना ही ।
★★★★★
उलूक के पन्नों से आदरणीय सुशील सर

बुरा 
ना मानो 
होली है 


कहता 
नहीं है 



कभी किसी से 



सालों साल 



हर दिन 
गुलाल 
खेलने वाले की 



खुद की 
काली 
रात नहीं होती
★★★★★
और चलते-चलते एक विचार मंथन जरुर पढ़े
आदरणीया प्रीति अज्ञात जी

कहने का तात्पर्य यह है कि आप खेलें, न खेलें....ये आपकी मर्ज़ी है पर हर बात में इतिहास को मत कुरेदा कीजिये. हर पर्व के दिन ही उसकी बुराई क्यों करनी? इससे केवल और केवल नकारात्मकता फैलती है. ये साल के हर माह में पड़ने वाले त्योहार ही हैं जो प्रसन्न रहने के अवसर देते हैं. इस बहाने ही सही पर लोग एक-दूसरे से मिल तो लेते हैं! बधाई देने के लिए ही सही उन्हें अपने जीवित होने का एक सन्देश तो देते हैं! परिवार के साथ गुजारने को एक दिन तो मिल जाता है!
★★★★
आज का यह अंक आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की
सदैव प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के विषय के लिए

कल का अंक पढ़ना न भूलें
कल आ रही हैं आदरणीया विभा दी
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।


9 टिप्‍पणियां:

  1. कल का दिन व्यस्तता में बीता
    ऐसे व्यस्त समय से समय चुरा लेना..
    बहादुरी है..
    एक आदर्श प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार भुमिका जो आस पास को उजागर कर रही है। होली का रंग कब उतरेगा वो ही बता सकता है जिसपर जितना चढ़ा और बाकि की हो ली।
    बहुत उम्दा संकलन बहुत सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात,
    एक से बढ़कर एक रचनाओ का संकलन,इनके बीच ज़फर को भी जगह देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर होली अंक। आभार श्वेता जी 'उलूक' को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति श्वेता ,सभी रचनाएँ लाजवाब !

    जवाब देंहटाएं
  6. श्वेताजी,धन्यवाद. सारी रचनाएं अलग-अलग रंग की हैं. होली की विविधता युक्त परंपरा के अनुरूप.
    होली के रंगों की छटा जीवन में बस जाए !

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्सव की व्यस्तता के साथ भी शानदार प्रस्तुति एवं उम्दा लिंक संकलन...।
    ढ़ेर सारी शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं

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