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सोमवार, 30 जनवरी 2017

563.....बिना झंडे के लोग लावारिस हो रहे हैं

शुभ प्रभात
सादर अभिवादन
आज मौन दिवस है
शत-शत नमन उन्हें
वे न होते तो क्या होता
अश्रुपूरित श्रद्धाँजली

चलिए चलें आज की पसंद देखने....


चौपाई...रेखा जोशी
राम नाम हृदय  में बसाया
कुछ नहीं अब हमे है भाया

राम नाम के गुण सब गायें 
नाम बिना कुछ नहीं सुहाये






याद चंचल हो गई
रात बेकल हो गई

इश्क का चर्चा चला
हवा संदल हो गई


सीख..विभा दीदी
सब्जी वाले से मैं एक का सिक्का ली ,
किराने के दुकान से दो का सिक्का बदली ,
सब्जी वाले को दो का सिक्का देकर चलती बनी


सूरदास जी से क्षमायाचना के साथ..गोपेश जायसवाल
मैया मोरी, मैं नहिं हिरना मारयो
सबके सनमुख करी खुद्कुसी, बिरथा मोहि फसायो
जो गुलेल तक नाहिं चलावत, गोली कैसे दाग्यो
जैसे ही हिरना स्वर्ग सिधार्यो, रपट लिखावन भाग्यो


धीरे धीरे उतरी शाम...... धर्मवीर भारती
आँचल से छू तुलसी की थाली
दीदी ने घर की ढिबरी बाली
जम्हाई ले लेकर उजियाली,
जा बैठी ताखों में

और अंत में एक बात पते की..

इन्सान 
की बात 
इन्सानियत 
की बात 
फजूल की 
बात है 
इन दिनों 
‘उलूक’ 
औकात की 
बात कर 
बिना झंडे 
के लोग 
लावारिस 
हो रहे हैं 

चलती हूँ अब
कल रचनाओं का 

चयन करना भूल गई थी
अभी सुबह के 4.44 हो रहे हैं
सादर













7 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग बहुत बहुत धन्यवाद छोटी बहना

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर संकलन आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर हलचल प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक'के सूत्र 'बिना झंडे के लोग लावारिस हो रहे हैं' को आज की हलचल का शीर्षक देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बात पते की लिखी गई है आपके द्वारा
      साधुवाद..
      सादर

      हटाएं
  4. यशोदा जी के इस चयन पर उनका धन्यवाद जोकि रचनाकर्म में विविधता को प्रधानता के साथ पेश करती हैं हम सबके लिये,समाज के लिये, देश-दुनिया के लिये.

    जवाब देंहटाएं

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