एक नव-ब्याहता ने आत्मदाह कर लिया
आज की परिक्रमा...
पहली बार..
कविता"एक धरा है एक गगन है"...अर्चना सक्सेना
क्यों बना लीं इतनी दीवारें
दिल में भी न झाँक हैं पाते
दर्द भरा है सभी के अंदर
ये भी नहीं जता ही पाते
फिर मिलेंगे
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शुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
आभार।
बढ़िया हलचल प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र एवं सार्थक हलचल ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंविविध बिषयों का रसास्वादन कराती यह प्रस्तुति सार्थक हुई....बधाई!
जवाब देंहटाएंVeri Nice Keep doing good WOrk.
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