सुप्रभात दोस्तो
नव वर्ष की शुभकामनाये
दोस्तो परीक्षा होने के कारण मै लम्बे समय से ब्लॉग पर नही आ सका । परीक्षा के बाद शिक्षा सम्बल कार्यक्रम के साथ जुड गया इसलिए कुछ समय वहा पर काम किया । आप मेरे अनुभव यहा
क्लिक कर पढ सकते है ।
अभी देश मे जो बडे शहरो मे घटित हो रहा है वो बहुत शर्मनाक है । जिस देश मे नारी को देवी का रूप माना जाता है उस देश मे ऐसी घटना कलंक के समान है । बेंगलुरु , दिल्ली और राजस्थान के चूरू मे जो हुआ वो निश्चित ही मन को आहत करने वाला है । अब नारी को आगे आना होगा तभी ऐसी घटना थमेगी ।
हर दिन सड़को पर मचली जाती हो ।
सिर्फ सिसकियाँ भर रह जाती हो ।।
फिर भी कहती अबला नही, हम है सबला ।
क्यों ओढ रखा है कायरता पर वीरता का चौला ।।
आइए अब चलते है आज की पाँच लिंको की ओर .....
अपनी माटी गीत सुनाती, गौरव और गुमान की।
दशा सुधारो अब तो लोगों, अपने हिन्दुस्तान की।।
खेतों में उगता है सोना, इधर-उधर क्यों झाँक रहे?
भिक्षुक बनकर हाथ पसारे, अम्बर को क्यों ताँक रहे?
देखा भी है , और सुना भी है
जानी बाबू और युसूफ आजाद काफी बड़े कव्वाली गायक रहे हैं.लेकिन जानी बाबू का एक नज्म जो बहुत चर्चित नहीं हो सका वह मेरे दिल के बहुत करीब है....
खिलौनों की बारात गुड़ियों की शादी
तेरा शहजादा मेरी शहजादी
तुझे याद हो या न हो लेकिन
मुझे याद आते हैं बचपन के वो दिन
मुझे मोहित चौहान तबसे पसंद रहे हैं जबसे 90 के दशक में उनके बैंड सिल्क रूट का एलबम बूँदें निकला था.
इसका एक गीत तो मुझे आज भी बहुत पसंद है.....
डूबा-डूबा रहता हूँ
आँखों में तेरी
दीवाना बन गया हूँ
चाहत में तेरी
नए साल में अच्छा लिखने मन था
पर यहाँ सब कुछ वैसा ही पुराना है।
वही सड़क,वही सोच,वही वहशीयत
बहूदगी छुपाने का भी वही बहाना है।।
ओछापन सोच से परे होता जा रहा
पता नहीं चलता कि ये कैसा दौर है?
इंसानों के बीच ही रहते हैं हम न या
इंसान की शक्ल में ये कोई और हैं?
हर माता - पिता के लिए उसकी संतान अमूल्य वरदान होती है , जिसके जीवन को वह अपने हाथों से सजाते व पूर्ण जिम्मेदारी के साथ उनका ख्याल रखते हैं। एक पल भी अपने आप से जुड़ा नहीं होने देते हैं। अपने संतान की छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करना अपना उत्तरदायित्व समझते हैं। और उनको बड़ी से बड़ी फरमाईश को पूरा करने में जी जान लगा देते हैं। संतान के आँखों में एक आँसू का कतरा भी आये ऐसा उन्हें गवारा नहीं होता। यहाँ मैं आप सभी से पूछना चाहती हूँ ,
दोस्तो
धन्यवाद
आपका विरोध सिंह सुरावा
विरोध सिंह सुरावा जी :)
जवाब देंहटाएंबात कपड़ों की नहीं बात सोच की है बात परवरिश की है बात माहौल की है बात गलत बातों के विरोध नहीं करने की भी है बहुत दिनोंं के बाद आये हैं एक अच्छी हलचल ले कर आये हैं । स्वागत है पुन: विरम सिंह जी ।
सही कहा परवरिश का बहुत प्रभाव पडता है । कृपया नाम का सही प्रयोग करे " विरम सिंह " नाम है ।
हटाएं:)
हटाएंमैंने तो आपके लिखे को देख कर लिखा लगा आज आप विरोध में हो तो विरोध सिंह सुरावा प्रयोग कर रहे हो ।
दोस्तो
धन्यवाद
आपका विरोध सिंह सुरावा
सुंदर प्रस्तुति.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंक्या बात है...
आनंद आ गया...
अति सुंदर प्रस्तुति....
विरम जी, बहुत ही सुंदर रचना और मुझे पाँच लिंको का आनन्द में स्थान देने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंएक नई दिशा !