जय मां हाटेशवरी...
कुछ राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं...
कल मतदाता दिवस भी है...
और दो दिन बाद गण-तंत्र दिवस...
इस लिये आज की प्रस्तुति...
आवाहन कर रही है...
हर मत-दाता से...
मत देते समय...
न दल को देखें, नजाति-धर्म को...
केवल देश का हित देखें...
जिस के लिये...अपनी सीट से संबंधित सभी प्रतियाशियों में से...
सबसे योग्य बेदाग चरित्र को अपना मत दें...
लोकतंत्र के इस पर्व में बहुत सोच–समझकर मतदान करें।
100% मतदान का महत्व
आपका कीमती वोट किसी भी नेता का मूल्यांकन कर सकता है. जो पार्टी, जो नेता आप चुनेंगे वो जीत कर आएगा. और यदि शत् प्रतिशत वोटिंग की जाती है तो उस जीते हुए प्रतिनिधि की सोच बदल सकती है और वह हर क्षेत्र के हर व्यक्ति के लिए काम कर सकता है, जैसे कि – बिजली, पानी, सुरक्षा, शिक्षा, पेंशन, बाग़-बगीचे, सड़कें, आदि -आदि. चुनाव प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण समझकर चुनाव के दिन घर में ही रहने का प्रयास न करें. अपितु परिवार के साथ घर के बाहर निकलकर अपना कीमती वोट डालें और चुनाव प्रक्रिया को सफल बनाइये.
मतदान करना?, नही करना?
मत दान करो
अपना बहुमूल्य मत
कम बुरे आदमी को
आपके मत का मतलब है
कि
उसके हर अच्छे बुरे फैसले में
उसके साथ हैं आप
आने वाले पाँच साल तक
मतदान अवश्य करें
- मतदाता को उद्देश्य पर विचार करना चाहिए, जाति पर नहीं। जाती को हावी न होने दंे। डाॅ. मनोहर लोहिया तक को केवल इसलिए प्रत्याशी बनने से वंचित रह जाना पड़ा क्योंकि वे उस जाति के नहीं थे, जिसके सदस्यों की उस निर्वाचन क्षेत्र में बहुत अधिक संख्या थी। घटना उत्तर प्रदेश के एक उपचुनाव के समय घटित हुई थी।
- संभावित विजेता का साथ न देकर योग्य प्रत्याशी का साथ देना चाहिए। पहले सही मनुष्य का चुनाव करें और तब यह प्रयत्न करें कि आपका चुना हुआ प्रत्याशी विजयी हो। वह ही आपकी विजय होगी।- आप दुनिया को बता दे कि आपका मत बिकाऊ नहीं है।
लोकतंत्र की जीवंतता का प्रतीक है 'मतदान
हर दाग ख़राब नहीं होता। अगर अंगुली में दाग लगने से अपने देश में एक अच्छी सरकार बनती है, तो दाग अच्छे ही कहे जाएंगे !! s1600/Vote+For+India-Election+campaign-Shabdshikhar-KK+Yadav-Akanksha+Yadav उँगली का सही इस्तेमाल इस देश का भविष्य तय करता है। सो; ऊँगली का इस्तेमाल कीजिये पर सोच-समझकर।
मतदान महज औपचारिकता नहीं
धर्म और जाति के बजाए देश हित को ध्यान में रखकर मतदान करना चाहिए। खासतौर से युवा वर्ग को अपने वोट का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। देश का सम्मान इसी में हैं कि हम सही व्यक्ति को चुनें। वोट देकर हमे अपनी आजादी का अहसास करना चाहिए।
इस संदर्भ में...सोशल मिडिया पर...
ये कहानी भी खूब वाएरल हो रही है...
एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??
यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !
भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !
रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।
वह जोर से चिल्लाने लगा।
हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते।
ये उल्लू चिल्ला रहा है।
हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??
ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।
पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।
सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।
हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद!
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा
पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।
हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ??
अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!
उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।
दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये।
कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी।
पंचलोग भी आ गये!
बोले- भाई किस बात का विवाद है ??
लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!
लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर
में इस गाँव से चले जायेंगे।
हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है।
इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए!
फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस
को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!
यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।
उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली! रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको!
हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ??
पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?
उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी!
लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!
मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है।
यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!
शायद 70 साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है. ये हमारी पार्टी
का है के आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!
आज बस इतना ही....फिर मिलेंगे...
धन्यवाद।
सस्नेहाशीष संग शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसामयिक सार्थक पोस्ट
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसामयिक व जागरूकता फैलाने वाली प्रस्तुति
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजागरूकता फैलाने वाली सार्थक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
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