सुप्रभात दोस्तो
गुठली
चूसकर फेंकी गई जामुन की एक गुठली
नरम मिट्टी में पनाह पा गई,
नन्ही-सी गुठली से अंकुर फूटा,
बारिश के पानी ने उसे सींचा,
हवा ने उसे दुलराया.
जब नहीं आए थे तुम...
- अली सरदार जाफरी
जब नहीं आए थे तुम, तब भी तो तुम आए थे
आँख में नूर की और दिल में लहू की सूरत
याद की तरह धड़कते हुए दिल की सूरत
तुम नहीं आए अभी, फिर भी तो तुम आए हो
रात के सीने में महताब के खंज़र की तरह
सुब्हो के हाथ में ख़ुर्शीद के सागर की तरह
आखिर क्यों ...
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आखिर क्या और कितना
चाह सकती है
बंद हथेली से कब का छूट चुकी उँगली सी देह वाली
किसी पुरानी किताब की गंध में
दबी पड़ी रह गई एक सिल्वर-फिश ...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
मोबाईल से ब्लॉग पर लिंक जोड़ना हँसी खेल नही
हौसला वनाए रखिए विरम भाई
सादर
शुभ प्रभात अति सुंदर आभार आपका
जवाब देंहटाएंवाह .....
जवाब देंहटाएंएहसास वसंत आने का
रंगीनी छा गई
वाह!! बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगा नए कलेवर में हलचल प्रस्तुति .. धन्यवाद
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