हम अपने बच्चों को...
मुगलों का इतिहास रटाते हैं...
सिख गुरुओं को भूलाकर...
अकबर को महान बताते हैं...
बच्चों को अगर पढ़ाया होता....
इतिहास सिख गुरुओं का...
भारत का हर बच्चा होता...
बंदा सिंह भादुर सा...
सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का प्रकाशोत्सव आज 5 जनवरी 2017 को मनाया जा रहा है। इनका जन्म 1666 ई में बिहार के पटना शहर में हुआ था।
पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवंबर 1675 को वे गुरु बने। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की।
जब इनके चार पुत्र शहीद हो गये तो...
माता गुजरी उदास थी और गुरु गोविंद सिंह जी ने उनसे दुखी न होने के लिये कहा...
उनसे केवल यही कहा...
सारे भारत की जंता ही हमारी संतान हैं...
इन पुत्रन के शीश पर वार दिये सुत चार ।।
चार मुए तो क्या हुआ जीवत कई हजार ।।
अब पेश है...आज की चयनित कड़ियां...
कविता बकवास नहीं होती है बकवास को किसलिये कविता कहलवाना चाहता है-
कहीं
ना कहीं
कुछ ना
कुछ ऐसा
हो जाता है
जो
ध्यान
भटकाता है
और
लिखना
लिखाना
शुरु करने
से पहले ही
कभाड़ हो
जाता है
राजनीति का खेल
कौन तुम्हारा मित्र है, याद किसे उपकार
अब सब उसके साथ हैं, जिसकी है सरकार !
सत्ता का यह रूप भी, है कितना बलवान
उगते सूरज को सभी, करते मिले प्रणाम !
श्रीराम का लक्ष्मण को अयोध्या लौटाने के लिए प्रयत्न करना
नहीं सुमन्त्र हैं साथ हमारे, रात्रि प्रथम जनपद के बाहर
उत्कंठित किंचित न होना, नगर की सुख-सुविधा न पाकर
तज आलस्य आज से हमको, रात्रि में जागना होगा
योगक्षेम सीता का क्योंकि, हमको ही पालना होगा
तिनकों, पत्तों की शय्या पर, संग्रह किया जिन्हें हमने ही
बिछा के भू पर सो लेंगे हम, फिर लक्ष्मण से यह बात कही
दुःख से सोये होंगे राजा, किन्तु सुखी होगी कैकेयी
महाराज को हत न कर दे, भरत को आया देख कहीं
फूल (हाईकू )
फूलों से सजी
कौमलांगी दुल्हन
सजा मोगरा |
लड़कियों के घर नहीं होते.........शकुंतला सरुपरिया-
बड़ी नाजुक मिजाजी है, बड़ा मासूम दिल इनका
जो थोड़ी खुदगरज होतीं, किसी के डर नहीं होते
कभी का मिलता हक इनको सियासत के चमन में भी
सियासत की तिजारत के जो लीडर सर नहीं होते
लड़कियों की धड़कनों पे निगाहें मां की भी कातिल
कोख में मारी न जातीं जो मां के चश्मेतर होते
आज बस इतना ही...
कल उमीद है...
काफी समय बाद भाई विराम सिंह जी...
अपनी पसंद पेश करेंगे...
धन्यवाद।
बढ़िया प्रस्तुति कुलदीप। आभार 'उलूक' के सूत्र 'कविता बकवास नहीं होती है बकवास को किसलिये कविता कहलवाना चाहता है' को आज की हलचल का शीर्षक के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र कुलदीप जी ! 'राजनीति के खेल' को आज की हलचल में शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
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