सादर अभिवादन
आज मौन दिवस है
शत-शत नमन उन्हें
वे न होते तो क्या होता
चौपाई...रेखा जोशी
राम नाम हृदय में बसाया
कुछ नहीं अब हमे है भाया
राम नाम के गुण सब गायें
नाम बिना कुछ नहीं सुहाये
सीख..विभा दीदी
सब्जी वाले से मैं एक का सिक्का ली ,
किराने के दुकान से दो का सिक्का बदली ,
सब्जी वाले को दो का सिक्का देकर चलती बनी
सूरदास जी से क्षमायाचना के साथ..गोपेश जायसवाल
मैया मोरी, मैं नहिं हिरना मारयो
सबके सनमुख करी खुद्कुसी, बिरथा मोहि फसायो
जो गुलेल तक नाहिं चलावत, गोली कैसे दाग्यो
जैसे ही हिरना स्वर्ग सिधार्यो, रपट लिखावन भाग्यो
धीरे धीरे उतरी शाम...... धर्मवीर भारती
आँचल से छू तुलसी की थाली
दीदी ने घर की ढिबरी बाली
जम्हाई ले लेकर उजियाली,
जा बैठी ताखों में
और अंत में एक बात पते की..
इन्सान
की बात
इन्सानियत
की बात
फजूल की
बात है
इन दिनों
‘उलूक’
औकात की
बात कर
बिना झंडे
के लोग
लावारिस
हो रहे हैं
चलती हूँ अब
कल रचनाओं का
चयन करना भूल गई थी
अभी सुबह के 4.44 हो रहे हैं
सादर
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग बहुत बहुत धन्यवाद छोटी बहना
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात सुंदर संकलन आभार आपका
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक'के सूत्र 'बिना झंडे के लोग लावारिस हो रहे हैं' को आज की हलचल का शीर्षक देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबात पते की लिखी गई है आपके द्वारा
हटाएंसाधुवाद..
सादर
सुप्रभातbadhai
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंयशोदा जी के इस चयन पर उनका धन्यवाद जोकि रचनाकर्म में विविधता को प्रधानता के साथ पेश करती हैं हम सबके लिये,समाज के लिये, देश-दुनिया के लिये.
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