स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;
दीनों दुखियों का त्राण लिये
मानवता का कल्याण लिये,
स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष!
तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।
संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति
की ज्वालाओं के गान लिये,
मेरे भारत के लिये नई
प्रेरणा नया उत्थान लिये;
मुर्दा शरीर में नये प्राण
प्राणों में नव अरमान लिये,
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
युग-युग तक पिसते आये
कृषकों को जीवन-दान लिये,
कंकाल-मात्र रह गये शेष
मजदूरों का नव त्राण लिये;
श्रमिकों का नव संगठन लिये,
पददलितों का उत्थान लिये;
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
सत्ताधारी साम्राज्यवाद के
मद का चिर-अवसान लिये,
दुर्बल को अभयदान,
भूखे को रोटी का सामान लिये;
जीवन में नूतन क्रान्ति
क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये,
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, तुम स्वर्ण विहान लिये!
सोहनलाल द्विवेदी
अब पेश है...चयनित कड़ियां...
वह साल गया, यह साल चला.....हरिवंशराय बच्चन
मित्रों ने हर्ष-बधाई दी
मित्रों को हर्ष-बधाई दी
उत्तर भेजा, उत्तर आया
'नूतन प्रकाश', 'नूतन प्रभात'
इत्यादि शब्द कुछ दिन गूंजे
फिर मंद पडे, फिर लुप्त हुए
फिर अपनी गति से काल चला;
वह साल गया, यह साल चला।
मुदित मन से आ रहा नव वर्ष है-
दर्द दुःख की कालिमा से मुक्त हो
उदित हो सूरज क्षितिज के भाल पे
उल्लसित हो थिरकने वसुधा लगे
मुग्ध हो संसृति प्रकृति की चाल पे !
बह चले गंगा पराई पीर से
पिघलता हो मन किसी बदहाल पे
जंग और आतंक की बातें न हों
शुभाशंसा हो लिखी हर भाल पे !
आनेवाली मुस्कराहटों ...-
बस जरा सा..
हँसते हुए ख्वाबों ने कान के पास आकर हौले से बोला..
क्या जाने कल क्या हो?
कोमल मन के ख्याल अच्छी हि होनी चाहिए..।
आओ खेलें झूठ सच खेलना भी कोई खेलना है-
किसी
एक झूठे
के
बड़े झूठ
ने ही
जीतना है
झूठों में
सबसे
बड़े झूठे
को
मिलना
है ईनाम
किसी
नामी
बेनामी
झूठे
ने ही
खुश
हो कर
अन्त में
उछलना है
भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना-
वैसे काफी पहले से ही मोबाईल,लैपटॉप,डेस्कटॉप आदि ने संगीत उपकरणों की जगह लेनी शुरू कर दी थी,रही सही कसर इंटरनेट पर मौजूद गीतों,गजलों का भरपूर संग्रह भी
इसका एक कारण हो सकता है.आने वाले समय में तकनीक का और विस्तार हो सकता है लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए संगीत का खजाना तब भी बदस्तूर जारी रहेगा.
इन कैसेटों पर नजर जाती है तो लगता है ये कह रही हों.........
भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना
जमाना ख़राब है दगा नहीं देना
नववर्ष ( गीत ).....नीलेन्द्र शुक्ल
नवजीवन हो नये वर्ष में
भरे सदा उजियारा ।
रहे सदा उत्तुड़्ग श्रृड़्ग
पर भारतवर्ष हमारा ।।
आकांक्षा...संध्या शर्मा-
और मैं
पलकें बंद करके
डूबी रहूँ
प्रीत की गहराईयों में ....
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंनूतनवर्षाभिनन्दन
शानदार चयन
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ! मेरी रचना को आज की हलचल में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार कुलदीप जी ! सभी मित्रों व पाठकों को नव वर्ष २०१७ की हार्दिक शुभकामनायें ! नया साल मुबारक हो !
जवाब देंहटाएंढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ नव दिवस सपरिवार आपके लिए 💐😍
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ! मेरी रचना को आज की हलचल में सम्मिलित करने के लिए आपका आभार ..
जवाब देंहटाएंनव वर्ष २०१७ की हार्दिक शुभकामनायें!नया साल मुबारक हो!💐💐
बहुत सुंदर हलचल.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंहलचल परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं !
आप को भी सर नव वर्ष की शुभकामनाएं। साथ ही हम सब ये भी चाहते हैं कि 2017 आप केवल एक दिन यहां अपनी पसंद के पांच लिंक पेश करके इस ब्लौग की शोभा बढ़ाएं।
हटाएंपुनः आभार।
सुन्दर संकलन ... स्थान देने हेतु आभार सहित नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो सभी चर्चाकारों, चिट्ठाकारों पाठको के लिये सपरिवार शुभ हो नया साल । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'आओ खेलें झूठ सच खेलना भी कोई खेलना है' को आज की हलचल जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
सभी साथियाें का्े नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत बहुत आभार मैम मेरे गीत को इतना स्नेह देने के लिए और इसी क्रम
जवाब देंहटाएंमें मैं नीलेन्द्र आप सभी को हृदय से नववर्ष की शुभकामनाएँ देता हूँ और
कहना चाहूँगा कि पुरानी सारी अच्छी यादों को लेकर एक नए संकल्प के साथ
नये वर्ष में प्रवेश करते हैं 2017 में साहित्य से समाज के लिए कुछ बेहतरीन संकल्प ।।धन्यवाद शुभरात्रि